नमस्कार देवियों और सज्जनों, मैं पुनः आप सब के समक्ष, “ स्वस्थ भारत.....स्वस्थ समाज ” की पहल को नया आयाम देने के उद्देश्य से , आप सभी का हार्दिक अभिनंदन और स्वागत करता हूॅं ।
मित्रों आज का स्वास्थ्य विषय , वर्तमान में बहुत अधिक मानव समाज और संसाधन को क्षति पहूचाने वाला रोग हैं - ‘ डेंगू ’। यह प्रायः AEDES (एडीज) जाति के मच्छर के काटने से होने वाला सामान्य से मृत्यु कारक स्थिति उत्पन करने वाला , एक गंभीर VIRUS जन्य रोग हैं ।
मित्रों प्रायः इस रोग को उत्पन्न करने वाला करने वाले मच्छर , धरती तल से कम ऊंचाई पर उड़ते हुए , दिन के समय काटने वाले होते हैं ।
भारतवर्ष में प्रतिवर्ष डेंगू से , मानव संसाधन को भारी नुकसान उठाना पड़ता हैं और जिसके लिए भारत सरकार प्रतिवर्ष मच्छरों के उन्मूलन हेतु और डेंगू रोग की रोकथाम हेतु बहुत अधिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा , विभिन्न माध्यमों से खर्च करती हैं । डेंगू को हम आयुर्वेद के दृष्टिकोण से “ सन्निपातिक ज्वर ” और BONE BREAK FEVER के नाम से भी समझ सकते हैं ।
डेंगू रोग के लक्षण -
(A.) प्रारम्भिक लक्षण -
1. शुरूआत / प्रारंभ में सामान्य ज्वर होता हैं जो बार-२ आता जाता रहता हैं । और इस Pattern को Saddle back pattern of fever कहते हैं ।
2. सिरदर्द , जोकि सिर में movement / गति देने से बढ़ता हैं ।
3. आंखों के पीछे दर्द होता हैं । (Retro orbital pain)
4. त्वचा पर स्किन रैशेज / Skin rashes का हो जाना ।
5. भूख न लगना ।
6. मुंह का कड़वा होना ।
7. कमजोरी लगना ।
(B.) मध्यम लक्षण -
8. शरीर की त्वचा पर लाल /हल्के नीले चकत्तो का दिखाईं देना ।
9. नाक , मुंह , मसूड़ों से , खांसी के साथ , मल में , पेशाब में मिश्रित होकर खून / रक्त का आना ।
10. यकृत / Liver के आकार में वृद्धि होना ।
11. हड्डियों , जोड़ों में तेज दर्द का होना ।
12. बुखार का तेजी से बढ़ जाना ।
(C.) अन्तिम और गंभीर लक्षण -
13. Blood Pressure का बहुत अधिक कम होना ।
14. रस धातु में बहुत अधिक ह्रास या कम होना अर्थात Sever Plasma loss की स्थिति बनने के कारण , Sock की स्थिति बन जाती हैं । ऐसी अवस्था में व्यक्ति मृत्यु को भी प्राप्त हो सकते हैं । अतः रोगी को प्रारंभ से ही चिकित्सा में बहुत अधिक सावधान रहना चाहिए ।
डेंगू रोग की चिकित्सा एवं चिकित्सा सिद्धांत -
1. सामान्य ज्वर की सामान्य चिकित्सा सतत करते रहें ।
2. गर्म पानी ही पीने के लिए इस्तेमाल करें । प्रतिदिन कम से कम ८-९ गिलास पानी पीना चाहिए ।
3. निरंतर सुबह-रात दो गिलास हल्दी मिलाकर दूध का सेवन करें
4. प्रातः काल उठकर , दो-तीन गिलास गर्म पानी में दो नींबू निचोड़ कर खाली पेट सेवन करें ।
5. नाश्ते में , अंकुरित चने , दलिया , दूध , रोटी-सब्जी , सभी प्रकार के फलो का सेवन करें ।
6. लन्च और डीनर में भरपूर मात्रा में , हरी सब्जियां , दाल , रोटी , अदरक पर नींबू-सेंधा नमक छिड़क कर निर्मित सलाद आदि का संतुलित मात्रा में सुपाच्य और पोष्टिक ( Highly Energetic & Proteineous diet ) भोजन ही सेवन करें ।
7. प्रतिदिन , दिन में दो बार १-१ गिलास मांड / उबले चावलों का पानी में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें ।
8. प्रतिदिन , दिन में ३-४ गिलास ,अनार ,मौसमी , अदरक , तुलसी , नींबू , आंवले आदि का मिश्रित जूस निकाल कर पीएं ।
9. आयुर्वेद एकल आमहर और ज्वरहर औषधियां जैसे - चित्रक , सोंठ , पिप्पली , काली मिर्च ,पर्पटक ,अमृता , कुटकी , किरात्तिक्त (चिरायता) , कालमेघ , दालचीनी , तुलसी आदि का विभिन्न रूपों में सेवन करें ।
10. गोघृत / गाय का प्रचुर मात्रा में सेवन करें ।
11. अधिक शारीरिक श्रम न करें ।
12. शासन - प्रशासन द्वारा बताई गई सलाह और Guidelines जैसे - आस-पास पानी एकत्रित न होने दें और एकत्रित पानी में तेल डाल दें और पूरे शरीर को पूर्ण रूप से ढकने वाले वस्त्र धारण करें , आदि का पालन करें ।
https://www.facebook.com/287432231921429/posts/841229649875015/
उपरोक्त चिकित्सा सिद्धांत एवं चिकित्सा प्रबंधन घटक सूत्र ,को पूर्ण रूप से स्वीकार कर, Apply कर आप डेंगू रोग से मुक्ति पा सकते हैं । किंतु अगर फिर भी आपका रोग ठीक नहीं होता हैं तो शीघ्र ही कुशल अनुभवी और प्रशिक्षित आयुर्वेद चिकित्सक से संपर्क कर, चिकित्सा परामर्श लेकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं , क्योंकि डेंगू रोग , “ आयुर्वेद चिकित्सा ” द्वारा अधिक प्रभावी , सुसाध्य सिद्ध हो चुका हैं ।
धन्यवाद ।
Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।
9 glass pani 3to 4 glass juice 2 glass mand fer ghee aur khub khana sir dengue patient se utha nhe jata vo etna sab kyse kha sakta h etne weakness joints pain head ache. dihydration. confusion aur pta nhe kya kya
ReplyDelete