Sunday, August 29, 2021

#मुझे देश के बारे में सोचने की क्या पडी़ ?



नमस्कार मित्रों, मैं एक बार फिर संवाद बेला में आप सभी राष्ट्रभक्तों का अभिनंदन करता हूँ |

                             मित्रों क्या कभी आपने सोचा हैं कि ये ं “ राष्ट्र ” शब्द के क्या मायने हैं ?  आखिर क्या हमें इस पर विचार करना चाहिए ? आखिर क्यों यह शब्द मात्र स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस के अवसर पर ही दर्शित होता हैं ? 

आइए, कुछ विचार विमर्श इस शब्द की सार्थकता हेतु किया जाए |

मित्रों आज हमारें समाज का जो प्रतिबिंब उभर रहा हैं, उसमें राजनीतिक दलों की सत्ता मोह भावना, निजी स्वार्थ, कथित छद्म महिला सशक्तिकरण के आधार Social plateform, Instagram, Tik tok आदि पर बूहड़पन की अश्लील और अनैतिक प्रतिस्पर्धा, और आधुनिक दिखने की दौड़ जैसे घटक विषयों का बड़ा नकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है ं| और इसका परिणाम यह हुआ है ं कि हम कहीं न कहीं अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निर्वहन करना भूल गए हैं |

मित्रों किसी समाजिक या राष्ट्रीय विषय पर हम तब बोलते है जब वो हमारे निजी लाभ के आड़े आने लगता है | अन्यथा हम उन विषयों पर धृतराष्ट्र की तरह अन्धे और मौन हो जाते हैं | ऐसी परिस्थितियों ही हमारी , राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को निर्धारित करती है ं|

                                                   हाल ही में कुछ ऐसे विषय जैसें जनसंख्या नियंत्रण, अफगानिस्तान में आतंक, माफियाओं पर नियंत्रण, सख्त कानून द्वारा समाजिक स्थिरता, किसानों और जवानों के हित में किए गए फैसले, बहुविवाह, विवाह विच्छेद, गैर धार्मिक स्थलों पर कब्जा, सरकारी जमीन पर कब्जा करने की दुर्भावना से रोज-रोज मजार आदि निर्माण,  CAA,  महिला सुरक्षा को लेकर राजनीतिक दलों का अवसरवादी धार्मिक भेदभाव आदि , ऐसे अनेक विषय सामने आए हैं | ऐसा नहीं है कि जनसमूह ने इन विषयों पर अपनी विचारधारा नहीं रखी, अपितु पूर्व की अपेक्षा समाजिक सक्रियता में वृद्धि आई है ं| परन्तु ये भी सत्य है कि इस देश का एक बड़ा वर्ग इन मुद्दो पर उदासीन, निष्क्रिय या राष्ट्र विरोधी रूख प्रस्तुत करते हुए दर्शित होता है ं, जो निश्चित ही इस देश के संवैधानिक आधार और राष्ट्र हित में नकारात्मक दुखद संकेत हैं | ऐसा वर्ग जनसमूह ऐसे विषयों की गंभीरता और उनकी तत्कालिक उपयोगिता को #लैंगिक, #धार्मिक, #क्षेत्रीय, #जातिगत, #राजनीतिक वर्ण / रंगों से रंजित कर प्रस्तुत करते हैं | वे भूल जाते हैं कि राष्ट्र की सुरक्षा, शान्ति, स्थिरता, सवोर्परि होनी चाहिए, न कि हमारे निजी लाभ |

ऐसे विषय, इतिहास के कटुअनुभव आधारित, और समाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु नितांत आवश्यक हैं | हमें वर्तमान और भावी पीढ़ी में आधुनिक बनने के साथ-साथ, राष्ट्र के प्रति जवाबदेही की भावना को विकसित करना होगा | और राष्ट्र विरोधी राजनीति, या धार्मिक कट्टरता लिए मजहबी ठेकेदारो को आत्म आंकलन कर राष्ट्र हित में सार्थक सोच के मील के पत्थर साबित करने चाहिए | और समाज, सरकार के प्रतिनिधियों को भी ये सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्र विरोधी वर्ग को निष्पक्ष रहते हुए, सख्त कानूनन कार्यवाही द्वारा तत्काल प्रभाव से दंडित करना चाहिए | क्योंकि ....

          “जो राष्ट्र के नाम का नहीं वो राष्ट्र के काम का नहीं ”


                         Regarding...साकेत कुमार

                                       “भारत”

Friday, August 27, 2021

#Stess/Depression/अवसाद & its management by Dr. Saket Kumar/mob. 08439017594/#Saharanpur/#BHARAT/#साकेत गर्ग**

                                                          देवियों और सज्जनों को मेरा पुनः “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा को अग्रसर करते हुए , सहृदय नमन और आप सभी का पुनः अभिनंदन ।                                                                                                                                                           मित्रों आज का स्वास्थ्य का विषय हैं- Depression / Stress / अवसाद जिसे हम सामान्य भाषा में “ तनाव ”और आधुनिक विज्ञान में Psychological Disturbing Phase तथा आयुर्वेद के दृष्टिकोण से “ अतत्वाभिनिवेश ” हैं । 

                        वर्तमान समय में हम आधुनिकता की आड़ में कहीं न कहीं धनात्मकता / Positivity को खो बैठे है ं । प्रायः ये देखा गया है कि, नवयुवक पीढ़ी में नकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है ं और नवयुवक पीढ़ी को अंदर ही अंदर कुंठित होती जा रही हैं ।

              जिसके परिणामस्वरूप मानव संसाधन न तो अपने दैनिक कार्यो को अच्छे से ही कर पाता हैं अपितु वह निरर्थक ही अप्रशिक्षित और अपंजीकृत चिकित्सकों से चिकित्सा लेने में मजबूर हो जाता है ंं।यहाँ तक की वह बेहद हृदय और मस्तिष्क के लिए खतरनाक सिद्ध होने वाली आधुनिक औषधि / Allopathic medicine  का सतत् प्रयोग कर, अपने आप को अंधेरे में डूबा देता हैं ।

प्रश्न १ - Depression / Stress / अवसाद क्या है ं ? 

उत्तर - Negative thought की प्रकाष्ठा हैं , जो आपको चाहिए अगर वो नहीं मिलता हैं तो वहीं अभाव ही  Depression / Stress  हैं ।



प्रश्न २ - सका  मूल  कारण क्या हैं ? 

उत्तर - (१) - अनैतिक या गलत या जरूरत से अधिक की इच्छा या लालसा करना चाहे वो सेक्स हो, सत्ता हो, या सम्पत्ति हो ।

(२) - जो आप अपना समझते थे, उसका खो जाना या छिन जाना या उसका भय मात्र होना ।

प्रश्न ३ - इसके सामान्यतः क्या लक्षण हैं ?

उत्तर - इसके सामान्यतः निम्न लक्षण होते हैं -

(१) मौन रहना ।

(२) काम में मन न लगना ।

(३) नशा, शराब का मन करना ।

(४) बार - 2 रोना ।

(५) नींद न आना ।

(६) किसी से बात न करना ।

(७) अंधेरा पसन्द आना ।

(८) भूख खत्म होना ।

(९) आत्महत्या का विचार आना ।

(१०) मेरा कोई नहीं ऐसा सोचना ।

(११) मेरे खिलाफ सब साजिश करते हैं, ऐसा सोचना ।

(१२) शुभचिन्तको से दूरी बनाए रखना ।

(१३) समाजिक कार्यक्रमो में मन न लगना ।

(१४) संभोग में मन ना लगना ।

(१५) अपने को कोसना आदि ।

प्रश्न ४ - इसका क्या समाधान अथवा चिकित्सा हैं ? 

उत्तर - मित्रों मुख्यत: इसके समाधान में कुछ घटक जरूरी हैं , 

जैसे - (अ) आहार

(ब) विहार

(स) औषधि

(अ) आहार - आपका आहार सात्विक,नियमबद्ध होना चाहिए । जैसे - 

(१) नाशता - अंकुरित काले चने, मूंग, मोठ एक कटोरी , दूध, दलिया, फल आदि ।

(२) लंच - दाल, सब्जी, रोटी, चावल, सलाद, मठ्ठा, दही भूना जीरा मिश्रित ।

(३) डिनर - कम मात्रा में, सब्जी रोटी , सलाद ।

(४) रोज नियम से प्रातःकाल उठकर दो नींबू युक्त दो गिलास पानी पीए ।

(५) रोज सभी प्रकार के फल खाए ।

(ब) विहार- 

(१) संतोषी बने ।

(२) धैर्य रखें ।

(३) संतो के संग रहे ।

(४) अपने विश्वसनीय मित्रों, गुरूजी से विचार विमर्श करें । 

       SHARING / SHARE your problem with             seomeone is best way to solve depression of           any  type.

(५) दान करें ।

(६) पूजा करें ।

(७) कहीं दूर शान्ति हेतु भ्रमण पर चले जाए ।

(८) सुबह नियम से योग, व्यायाम करें ।

(९) समय से सोये और उठे ।

(१०) नियमित ध्यान करें ।

(११) “ भगवत् गीता ” का अध्ययन करें ।

विशेष औषधीय चिकित्सा - 

मेध्य औषधियों/ Brain Tonic and Relaxing Ayurveda drug जैसे - शुण्ठी , मधुयष्टि , शतावरी , अश्वगंधा , अमृता (गिलोय) , जटामांसी , वचा , सर्पगंधा , ब्राह्मी ,  शंखपुष्पी , ज्योतिष्मति , मंडूकपर्णी , कपिकच्छू आदि एकल औषधियों अथवा इनसे निर्मित योगो का ‘ आयुर्वेद चिकित्सक ’ के परामर्श उपरांत सतत सेवन करें । 

अवसाद /Depression / Stress में मेध्य औषधियों के साथ - 2 , “ वाजीकरण औषधियों ” / Aphrodisiacs का भी इस्तेमाल श्रेष्ठतम रहता हैं । वाजीकरण औषधियों का सतत प्रयोग करने से शरीर में नकारात्मकता पैदा करने वाले स्राव कम हो जाते हैं और जिस के अनुरूप हमारी सोच Positive होने से , Depression / Stress अथवा अवसाद का समूल नाश हो जाता हैं ।

                                       अगर आप उपरोक्त बिन्दुओं का दृढ़ता से पालन कर लेगें तो शायद आपको किसी मानसिक रोग विशेषज्ञ की आवश्यकता न पड़े । किन्तु अगर आप किसी चिकित्सक को भी दिखाए तो अनुभवी , प्रशिक्षित और आपकी समस्याओं को समय देकर ध्यान से सुनने वाले , और जो अनावश्यक रासायनिक औषधियों (Unnecessary , Unwanted Chemicals & Medicines) को प्रमुखता ना देता हो ऐसे ही चिकित्सक से ही परामर्श लें । अनावश्यक बाजार में उपलब्ध औषधियों का प्रयोग कर  स्वास्थ्य से न खेले । क्योंकि आपका स्वास्थ्य अनमोल है ंं।

                                      धन्यवाद ।

Note - उपरोक्त लेख , केवल स्वास्थ्य जन जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।

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                           Mob. 08439017594


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#संभोग .. महत्वपूर्ण विषय

 हमारे समाज की महत्वपूर्ण मौलिक अवधारणा पर आज भी समाज हीन भावना को प्रदर्शित करता है 

आखिर क्यों हम इस विषय पर अपनी सोच को विकसित नहीं करते हुए, अपनी शारीरिक, मानसिक, विचारों और योग्यता को दूसरो से उचित सलाह न लेकर कुंठित जीवन जीने को मजबूर है ं|

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