देवियों और सज्जनों को मेरा पुनः “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा को अग्रसर करते हुए , सहृदय नमन और आप सभी का पुनः अभिनंदन । मित्रों आज का स्वास्थ्य का विषय हैं - Gall Stone जिसे हम सामान्य भाषा में “ पित्त की थैली की पथरी ”और आधुनिक विज्ञान में Cholestasis तथा आयुर्वेद के दृष्टिकोण से “ पित्ताशयगत पित्ताश्मरी ” कहते हैं ।
देवियों और सज्जनों , हमारे आधुनिक समाज में जहां नित्त-प्रतिदिन मानसिक और तकनिकी विकास ने एक नया आयाम स्थापित किया हैं , वहीं नकारात्मक दृष्टिकोण से शारीरिक रोगों को और अधिक कष्टप्रद बनाने में , आधुनिक दूषित जीवन शैली / Modern Sedentary Life Style , फास्ट फूड कल्चर , और दूषित दिनचर्या ने अपनी महत्वपूर्ण नकारात्मक भूमिका को अंजाम दिया हैं । इन्हीं उपरोक्त कारणों की वजह से समाज का एक बड़ा वर्ग Gall Stone / पित्त की थैली की पथरी / पित्ताश्मरी रोग से रोगग्रस्त हो चुका हैं ।
आइए विचार विमर्श करते हुए जानने का प्रयास करते हैं कि Gall Stone / पित्त की थैली की पथरी का निर्माण कैसे और किन कारणों से होता हैं ? इसके क्या लक्षण हैं ? इससे बचने के क्या उपाय होते हैं ? तथा इसके होने पर इसकी क्या चिकित्सा करनी चाहिए ?
Bile Juice / पित्त निर्माण -
Bile Juice / पित्त का निर्माण यकृत कोशिकाओं / Liver Cells जिन्हें हम Hepatocytes कहते हैं , के द्वारा निरंतर रूप से निर्मित होता रहता हैं । यह एक प्रकार का पाचक रस अथवा Digestive Juice हैं , जोकि यकृत / Liver की निचली सतह पर गुब्बारे के आकार /( Balloon Shaped ), की Gall Bladder / पित्ताशय / पित्त की थैली में संग्रहित / Store होता रहता हैं और समय-2 पर भोजन करने के उपरांत यह पाचक रस / Digestive Bile Juice , पित्ताशय / Gall Bladder से आवश्यकतानुसार निकलकर छोटी आंत में जाकर खाए हुए अन्न अथवा भोजन का पाचन करता हैं ।
Bile Juice / पित्त का रासायनिक संगठन -
आधुनिक विज्ञान के कथनानुसार यह Bile Salts , Bile Pigments , और Cholesterol / कोलेस्ट्रोल आदि का मिश्रण होता हैं ।
Gall Stone / पित्ताश्मरी / पित्त की थैली की पथरी / का निर्माण -
शरीर में किन्हीं कारणों से अगर यकृत / Liver की उपचय और अपचय ( Metabolism ) में कुछ नकारात्मक परिवर्तन हो जाते हैं , तो Bile Juice / पित्त में Bile Salt की मात्रा कम और Cholesterol / कोलेस्ट्रॉल एवं Bile Pigments की मात्रा बढ़ जाती हैं । जिसके फलस्वरूप Bile Juice / पित्त / (पाचक पित्त) की सान्द्रता / Concentration / Viscosity बढ़ने के कारण यह अत्यधिक गाढ़ा हो जाता हैं तथा वह Gall Bladder / पित्ताशय से पाचन क्रिया के दौरान , समुचित और पूर्ण मात्रा में आंतों की ओर नहीं जा पाता हैं तथा Gall Bladder / पित्ताशय में ही आवश्यकता से अधिक संग्रहित / Store & Saturated होता रहता हैं । अत्यधिक सांद्र / Saturation होने के कारण और समय के साथ-2 कठोर / Solidify रूप लेने लगता हैं और अन्ततः कुछ समय बाद वही , Gall Stone / पित्ताश्मरी / पित्ताशय की पथरी का रूप ले लेता हैं ।
Gall Stone / पित्ताश्मरी / पित्त की थैली की पथरी के सामान्य लक्षण -
1. Biliary Colic - Gall Stone / पित्ताश्मरी / पित्त की थैली की पथरी , पित्ताशय की आंतरिक कला / Inner Epithelium Mucosa में सूजन / शोथ / Inflammation और व्रण / Ulcers उत्पन्न कर देता हैं , जिसके कारण हमारे पेट के ऊपरी दाएं भाग की ओर पसलियों के नीचे दर्द होता हैं । प्रायः यह दर्द पेट के मध्य उपरी भाग में , छाती के बीच में पिछली ओर (कमर) के बीच और यहां तक की दाएं कंधे तक भी स्थानांतरित हो जाता हैं ।
Gall Stones / पित्ताश्मरी का दर्द प्राय: उल्टी के साथ असहनीय अवस्था तक भी पहुंच जाता हैं तथा तेज और असहनीय दर्द की ऐसी अवस्था में औषधीय चिकित्सा ना करते हुए , आकस्मिक शल्य चिकित्सा / Emergency & Cholestectomy Sergical removal of Gall Bladder or Stone , एकमात्र बेहतर विकल्प होती हैं ।
2. शरीर में भूख की कमी ।
3. भोजन करने पर , पेट में भारीपन , गैस और अपचन / Indigestion की स्थिति बनी रहती हैं ।
4. भोजन से पूर्व अथवा भोजन करने पर अथवा निरंतर उबकाई / Nausea की स्थिति अथवा उल्टी / Vomating होती रहती हैं ।
5. निरंतर अथवा समय-2 पर बुखार जैसी स्थिति / Febrile Body या बुखार का ही बने रहना ।
6. शरीर में Cholesterol / कोलेस्ट्रॉल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती हैं , जिसके फलस्वरूप Blood Pressure / ब्लड प्रेशर और Cardiopathy / हृदय रोग होने की भी उपद्रव के रूप में संभावना बन जाती हैं।
Gall Stone / पित्ताश्मरी / पित्त की थैली की पथरी की चिकित्सा एवं चिकित्सा सिद्धांत -
1. आहार / भोजन में रेशेदार सब्जी और सलाद जैसे खीरा , गाजर , चुकंदर , मूली , अदरक , शलजम , आंवला , लौकी , करेला आदि हरी सब्जियों का सतत सेवन करें ।
2. आलू , मिठाई , चावल , राजमा , उड़द , छोले जैसी दालों का सेवन ना करें ।
3. दिनचर्या में चॉकलेट , कोल्ड ड्रिंक , फास्ट - फूड जैसे - चाऊमीन , बर्गर , स्प्रिंग रोल , मैदे से बने व्यंजनों का सेवन ना करें ।
4. ठंडे पानी का सेवन पीने के लिए ना करें , अपितु नींबू तथा सेंधा नमक युक्त गर्म जल का ही सेवन करें ।
5. दूध अथवा दूध से निर्मित दही , घी , पनीर आदि का कम प्रयोग करें ।
6. चिकनाई युक्त आहार / भोजन और मसालेदार भोजन का सेवन ना करें ।
7. प्रतिदिन 2-3 गिलास , तिल तेल में हींग - जीरा - अजवाइन - मेथी - धनिया आदि से छोंक लगा हुआ मट्ठे / बटर्मिल्क का सेवन करें ।
8. रात्रि में सोते समय नींबू युक्त गर्म पानी के गिलास के साथ सत्त ईसबगोल अथवा त्रिफला का एक से डेढ़ चम्मच निरंतर सेवन करें ।
9. प्रतिदिन ज्वार - बाजरा और गेहूं से निर्मित मिश्रित आटे से बनी रोटी का ही सेवन करें ।
10. प्रातःकाल , रात को 5 -6 भीगी हुई लहसुन की कलियों का छिलका उतारकर , बारीक काटकर दो गिलास पानी के साथ शौचक्रिया से पहले सेवन करें ।
11. प्रात:काल 2 - 4 किलोमीटर तेज गति से मॉर्निंग वॉक पर जाएं या घर पर रहकर निरंतर आधे घंटे के लिए व्यायाम , योग आदि जरूर करें ।
12. Cholesterol / कोलेस्ट्रोल आदि को कम करने वाली कफशामक और मेदधातुशामक औषधियों जैसे - शुण्ठी , पिप्पली , काली मिर्च , दालचीनी , आंवला , चित्रक , हल्दी , अर्जुन , गुग्गुल आदि एकल औषधियों अथवा इनसे निर्मित योगो का आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श उपरांत सतत सेवन करें ।
13. यकृत अथवा Liver Good Health हेतु हितकारी आयुर्वेदिक औषधियां जैसे - अमृता (गिलोय) , पुनर्नवा , कालमेघ , किराक्ततिक्त (चिरायता) , चित्रक , कुटकी , भृंगराज , घृत कुमारी , ताम्र भस्म आदि का एकल रूप में अथवा इन औषधियों से निर्मित योगो का आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श उपरांत सतत प्रयोग करें ।
उपरोक्त चिकित्सा बिंदु केवल Silent Gall Stone , Chronic Cholecystitis अथवा Smaller sized Gall Stone / पित्ताश्मरी के अधिक बड़े ना होने की दशा में ही , प्रयोग करने चाहिए । अत्याधिक तेज दर्द / पीड़ा और Acute cholesystitis होने पर और Gall Stone का अत्यधिक बड़ा आकार होने की दशा में आकस्मिक एवं आधुनिक शल्य चिकित्सा / Emergency Cholestectomy Sergical removal of Gall Bladder or Stone ही श्रेष्ठतम सिद्ध चिकित्सा होती हैं । अतः अनावश्यक रूप से औषधीय अथवा Medicinal Treatment का सहारा ना लें ।
उपरोक्त उपायों को इस्तेमाल कर बहुत हद तक आप Gall Stone / पित्ताश्मरी के बार-2 बनने और इसके उपद्रव से मुक्ति पा सकती हैं , किंतु अगर फिर भी आप इस रोग से ग्रस्त ही रहतीं हैं तो शीघ्र ही अपने Family Physician / काय रोग विशेषज्ञ या किसी कुशल , प्रशिक्षित , अनुभवी “ आयुर्वेद चिकित्सक ” से परामर्श लेकर, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
धन्यवाद ।
Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।
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