नमस्कार देवियों और सज्जनों , मैं पुनः आप सभी लोगों के मध्य “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा को नया आयाम देने के उद्देश्य से एक नए स्वास्थ्य विषय “ श्वेत प्रदर ” की पुनरावृत्ति क्यों ? , को लेकर उपस्थित होते हुए , आप सभी का अभिनंदन करता हूॅं । आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में श्वेत प्रदर को Leaucorhea तथा आयुर्वेद के दृष्टिकोण से श्वेत प्रदर , एक प्रकार का योनिव्यापद् जन्य उपद्रव एवं मेरे निजी दृष्टिकोण से “ रस धातु का क्षरण ” करने वाला पृथक् रोग है।
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मित्रों आज का स्वास्थ्य विषय भले ही पूर्ण रूप से नारी शक्ति को समर्पित हो किन्तु परोक्ष रूप से सम्पूर्ण परिवार को प्रभावित करने वाला रोग और स्वास्थ्य विषय हैं। आइए जानने की कोशिश करते हैं - श्वेत प्रदर हैं क्या ? , ये सामान्य कब हैं ? , और कारण सहित इसके क्या लक्षण हैं ? , और कब इसे रोग की श्रेणी में रखना चाहिए ?
मित्रों स्त्री में प्रजनन तंत्र संबंधित जननांग अंग योनि से समय-2 पर , स्त्री हार्मोन एस्ट्रोजन / Oestrogen की सक्रियता के कारण , मैथुन उत्सुकता के समय (Sexual excitement) , मैथुन करने के दौरान (During sex) , मासिक धर्म से पूर्व (Before menses) , स्त्री की Ovary से अण्ड् विसर्जन के समय (At ovulation) , और अन्य भी अनेक विशेष परिस्थितियों में सामान्य , उपद्रवरहित स्राव निकलता रहता हैं जो योनि की स्वस्थ्ता , और अम्लीयता (ph control) को संतुलित करने हेतु नितांत आवश्यक होता हैं ,यह सामान्य प्रक्रिया है जिसमें स्रावित होने वाला स्राव रंगहीन पारदर्शी , गंधहीन दुर्गंध रहित , चिकनाई युक्त होता हैं , तथा स्राव की मात्रा प्रत्येक स्त्री में विभिन्नता लिए हुए कम या ज्यादा हो सकती हैं। किंतु अज्ञानता और समाजिक कथित धारणा के कारण हम इस सामान्य स्राव को भी श्वेत प्रदर की श्रेणी में रख कर , अपने आप को अस्वस्थ और आत्मग्लानि से ग्रस्त स्वीकार करने लगते हैं और छद्म चिकित्सको (Unqualified or Greedy) के झांसे में आकर , स्वयं या अपनी पुत्री की निरर्थक चिकित्सा कराने हेतु आर्थिक शोषण का शिकार बन जाती हैं। उपरोक्त अवस्था, श्वेत प्रदर रोग बिल्कुल नहीं हैं ।
श्वेत प्रदर के कारण -
1. प्रजनन अंग योनि की अम्लीयता में कमी।
2. प्रजनन अंग योनि को समुचित स्वच्छ न रखना।
3. प्रजनन अंग योनि की आन्तरिक कला में किसी भी प्रकार का संक्रमण (Infection) का हो जाना।
4. एक से अधिक पुरूष साथी से संभोग करना।
5. पुरुष साथी के लिंग में किसी प्रकार का संक्रमण (STD) होना ।
6. स्त्री के शरीर की रोग प्रतिरोधक (Immunity) क्षमता का कम होना।
7. स्त्री का मधुमेह रोग (Diabetes Mellitus) से ग्रस्त होना ।
8. स्त्री में स्त्री हार्मोन की मात्रा में अनियमितता की पुनरावृत्ति का बने रहना ।
9. मिर्च - मसालेदार , तैलीय भोजन , अधिक मीठा , चाय , चाऊमीन , बर्गर , स्प्रिंग रोल , पिज्जा आदि फ़ास्ट फूड का अधिक सेवन करना आदि ।
10. संतुलित आहार , सलाद ,फल , दूध-दही का कम सेवन करना ।
11. शारीरिक श्रम न करना आदि।
श्वेत प्रदर के लक्षण -
1. योनि स्राव का निरंतर दिन और रात में संपूर्ण समय स्रावित होते रहना।
2. योनि स्राव पारदर्शी न होकर , सफेद , हल्का हरापन या नीलापन लिए हुए हो।
3. योनि स्राव का चिपचिपा युक्त होना।
4. योनि स्राव का तीक्ष्ण / तेज दुर्गंध युक्त बदबूदार होना ।
5. योनि में जलन अथवा खुजली होने लगती हैं।
6. शरीर में कमजोरी महसूस करना।
7. कमर में दर्द का बने रहना।
8. हल्के-2 बुखार जैसी स्थिति का बने रहना।
9. सामान्य व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता हैं।
10. भोजन में रूचि न होना।
11. मैथुन में इच्छा नहीं होती हैं ।
12. अकेले रहने की इच्छा होती हैं।
श्वेत प्रदर , शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर समान रूप से अपना नकारात्मक असर अथवा प्रभाव डालता हैं , अतः श्वेत प्रदर में , Physical changes के साथ-2 हमारी Psychology भी disturb होती हैं।
श्वेत प्रदर हेतु चिकित्सा सिद्धान्त -
1. उपरोक्त बताए गए सभी कारण अथवा निदानों का संपूर्ण रूप से त्याग करें।
2. शौच करने के बाद अथवा समय-2 पर योनि को उष्ण जल / फिटकरी मिश्रित उष्ण जल से प्रक्षाचलित अथवा निरंतर धुलते रहें ।
3. नाश्ते में अंकुरित चने , दलिया , दूध , रोटी-सब्जी एवं भोजन में संपूर्ण मात्रा में दाल , हरी पत्तेदार सब्जी , प्रचुर मात्रा में चावल , दो से तीन रोटी और सुबह-शाम एक-2 गिलास दूध , घी का निरंतर सेवन करें।
4. प्रतिदिन निरंतर उचित मात्रा में फल अथवा फलों के जूस का सेवन करें ।
5. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले आहार और औषध जैसे- चिरायता , आंवला , गिलोय , मुलेठी , अश्वगंधा , शतावरी , विदारीकन्द आदि आयुर्वेद औषधि का एकल अथवा योग में निरंतर सेवन करें ।
6. प्रदर नाशक कषाय रस प्रधान आयुर्वेद औषध जैसे - पठानी लोध्र , धाय पुष्प , हरड़ , बहेड़ा ,आम की गुठली ,प्रियंगु , लाजवंती , रोहीतक मूल की छाल , फिटकरी आदि के चूर्ण , क्वाथ आदि में शहद मिलाकर सेवन करें।
7. योनि पिचू धारण -दिन में दो बार उपरोक्त क्वाथ अथवा फिटकरी मिश्रित जल में साफ अंगुठे के समान रुई को पूर्ण भिगोकर योनि प्रदेश में अंदर धारण कर रखें ।
उपरोक्त उपायों को इस्तेमाल कर बहुत हद तक आप श्वेत प्रदर से मुक्ति पा सकती हैं , किंतु अगर फिर भी आप इस रोग से ग्रस्त ही रहतीं हैं तो शीघ्र ही अपने Family Physician / स्त्री रोग विशेषज्ञ या किसी कुशल , प्रशिक्षित , अनुभवी “ आयुर्वेद चिकित्सक ” से परामर्श लेकर, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
धन्यवाद ।
Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।