वैसे तो #Fissure In Ano एक ऐसा रोग हैं जिससे हर आयु वर्ग चाहे वह स्त्री हो या पुरुष , सभी इससे आक्रांत रहते हैं , किंतु प्राय: यह देखा गया हैं कि आधुनिक जीवन शैली और दूषित आहार-प्रणाली विशेषकर फास्ट फूड कल्चर , भोजन में फाइबर की कमी , ऐसे रोगजनक कारण Teenagers Girls (अथवा 13 वर्ष से 25 वर्ष की लड़कियां ) में ज्यादा मिलते हैं , अतः यही कारण है कि #Fissure In Ano , इस उम्र की लड़कियों अथवा Teenagers Girls को ज्यादा प्रभावित करता हैं । #Fissure In Ano को आयुर्वेद में #परिकर्तिका नाम से जाना जाता हैं , जिसका शाब्दिक अर्थ ‘ कैंची के समान पीड़ा या दर्द ’ होना हैं । आइए #Fissure In Ano के बारे में जानते हैं - आखिर यह होता क्या हैं ?
Fissure In Ano/परिकर्तिका के सामान्य लक्षण -
1. गुदा अथवा शौचकर्म के मार्ग में कैंची के कर्तन के समान असहनीय तीव्र पीड़ा या दर्द का होना । प्राय: यह दर्द , शौच करते समय या उसके कुछ समय उपरांत तक भी बना रहता हैं ।
2. गुदा मार्ग/शौचकर्म के मार्ग में खुजली और जलन का होना ।
3. कभी-कभी शौच के साथ लगकर रक्तस्राव अथवा Bleeding भी होती हैं ।
Fissure In Ano/परिकर्तिका के सामान्य कारण -
1. शारीरिक श्रम में कमी ।
2. प्रतिदिन जल का कम सेवन ।
3. फास्ट फूड का अधिक सेवन जैसे स्प्रिंग रोल , मोमोज , चाऊमीन , बर्गर , पिज्जा आदि मैदे से बने पकवानों का अधिक सेवन करना ।
4. भोजन में फाइबर की कम मात्रा तथा सलाद रहित भोजन करना । 5. योग , व्यायाम , दौड़ , Morning walk, Excercise का ना करना ।
6. तथा उपयुक्त सभी कारणों के कारण , लंबे समय से कब्ज/Constipation का बने रहना आदि ।
Fissure In Ano/परिकर्तिका की चिकित्सा -
1. शारीरिक श्रम न करना आदि उपरोक्त सभी कारणों का त्याग करना ।
जैसे - नियमित रूप से प्रात:काल योग , व्यायाम , दौड़ , Morning walk , Excercise आदि को करना ।
2. प्रातःकाल खाली पेट , 2-3 गिलास नींबू पानी अथवा गर्म पानी का सेवन करना ।
3. नाश्ते में अंकुरित चने , सोयाबीन , मोठ ,दलिया , आटे के जलवे , रोटी-सब्जी , दूध आदि का नियमित सेवन करना ।
4. लंच-डीनर में बिना छाने आटे की रोटी , सब्जी , दाल , आदि का खीरा-ककड़ी-गाजर की सलाद के साथ सेवन करना ।
5. भोजन से प्राय एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक जल का सेवन ना करना ।
6. भोजन के तुरंत बाद ना सोना ।
7. निरंतर अग्नि अथवा भूख बढ़ाने वाले औषध द्रव्य जैसे - सोंठ , मरिच , पिपली , हींग , जीरा , चित्रक आदि का सेवन करना ।
8. रोज रात्रि में सत ईसबगोल एक चम्मच शक्कर के दूध अथवा गर्म जल से सेवन करें ।
9. निरंतर दिनचर्या में सुबह-शाम गर्म पानी से खाली पेट , हरड़ का मुरब्बा ग्रहण करें ।
10. शौच करते हुए ज्यादा जोर या दबाव न लगाएं ।
अगर आप उपरोक्त सभी रोगजनक घटक कारणों का त्याग कर , अपनी जीवन शैली को उत्तम बनाते हैं और दिनचर्या में बताए गए बिंदुओं पर विचार करते हुए उनका पालन करते हैं तो निश्चित रूप से आपको बहुत ही अच्छे एवं धनात्मक परिणाम प्राप्त होंगे । किंतु अगर आपको या आपकी सुपुत्री (Included son too) को उपरोक्त कारण द्रव्यों के त्याग और चिकित्सा में बताए गए बिंदुओं के पालन करने पर भी ##Fissure In Ano रोग और इसके कष्टकारी लक्षणो से निजात नहीं मिलती हैं , तो मेरा आपसे अनुरोध हैं कि निकटवर्ती किसी ‘आयुर्वेद चिकित्सक’ अथवा अगर संभव हो सके तो “क्षारसूत्र चिकित्सा विशेषज्ञ” से संपर्क कर अपने रोग का समाधान कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
जहॉं तक कि मेरा निजी चिकित्सीय अनुभव हैं तो #Fissure In Ano एक असहनीय तीव्र पीड़ादायक गंभीर व्याधि हैं , जिससे आपकी सुपुत्री एक दर्दकारक जीवन जीने को मजबूर हैं ।
कृपया करके शर्म और संकोच का त्याग करें और इस रोग का समाधान सुनिश्चित करें । अनुभव में मैं आपको विश्वास दिला सकता हूं कि तुलनात्मक रूप से इस रोग में , आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति द्वारा सुसाध्य और बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैैं । आपकी सुपुत्री का स्वास्थ्य अनमोल हैं , और अनमोल स्वास्थ्य की सुरक्षा करना मात-पिता होने के कारण आपकी समाजिक और चिकित्सक होने के कारण हमारी चिकित्सीय जिम्मेदारी हैं ।
धन्यवाद ।
Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।
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