नमस्कार देवी और सज्जनों , मैं पुनः आप सब के समक्ष “ स्वस्थ भारत .... स्वस्थ समाज ” की अवधारणा को नया आयाम देने के उद्देश्य से , आप सभी लोगों का अभिनंदन और स्वागत करते हुए , आप सभी को सादर नमन करता हूॅं । मित्रों आज का स्वास्थ्य विषय हैं - Sinusitis / साइनोसाइटिस , जिसे आमतौर पर हम Sinus / साइनस और “ आयुर्वेद ” के दृष्टिकोण से “ कफज - वातज अस्थिगत शोथ ” के नाम से समझ सकते हैं ।
आइए जानने की का प्रयास करते हैं कि आखिर Sinusitis / साइनोसाइटिस किस प्रकार की व्याधि और क्यों हैं ? मुख्यतः अगर कहा जाए तो हमारी आंख के चारों को कुछ अस्थियॉं / Bones जैसे - Frontal , Maxillary , Sphenoid , Ethamoid Bones होती हैं जो आंतरिक रुप से Air Filled या हवा से भरी हुई खोखली होती हैं , जिन्हें हम Sinus / साइनस कहते हैं । जिनकी Inner lining / आंतरिक श्लेष्मधरा कला से निरंतर स्राव निकलता रहता हैं , जो नासा मार्ग / Nasal Cavity में स्रावित होता रहता हैं । किसी भी कारण से अगर Sinus की आंतरिक श्लेष्मधरा कला में किसी भी प्रकार का Infection हो जाता हैं तो कला में सूजन / Swelling / Inflammation उत्पन्न हो जाती हैं । तथा वहॉं दूषित Infected mucus / स्राव एकत्रित होने लगता हैं और जो , नासा मार्ग के माध्यम से Sinus / साइनस से नहीं निकल पाता तथा स्थिति और ज्यादा कष्टप्रद हो जाती हैं । इसी रोगावस्था को ही हम Sinusitis / साइनोसाइटिस के नाम से जानते हैं ।
Sinusitis / साइनोसाइटिस के मुख्य कारण -
1. लंबे समय तक या बार-बार Viral Common Cold / नजला - जुखाम का बने रहना ।
2. धूल - धुआं - Pollen - Smell - Egg - Cold Air - Cloth Fiber आदि और भी अन्य द्रव्यों से किसी प्रकार की Allergy / एलर्जी का होना ।
Sinusitis / साइनोसाइटिस के सामान्य लक्षण -
1. आंखों के चारों ओर दर्द रहना ।
2. Sinus/ साइनस को दबाने पर तेज दर्द होना ।
3. सिर में भारीपन के साथ सिर दर्द का निरंतर बने रहना ।
4. नासा मार्ग से बार-2 पीले - हरे रंग का गाढ़े स्राव /Infected mucus का स्रावित या उसका जम जाना ।
5. नासा मार्ग का बंद रहने से सांस लेने में दिक्कत होना ।
6. बदबूदार सांस का आना ।
7. गर्दन या सिर के हिलने पर चक्कर आना ।
8. शरीर में अत्यधिक कमजोरी होना ।
9. प्रायः बुखार जैसी स्थिति या बुखार का ही प्रतीत होना आदि ।
Sinusitis / साइनोसाइटिस में अपथ्य -
1. ठंडी तासीर के आहार अथवा तरल पदार्थों का सेवन ना करें ।
2. ठंडे जल का सेवन ना करें ।
3. मैदे से निर्मित आहार द्रव्य जैसे ब्रेड - भटूरे , फास्ट फूड जैसे स्प्रिंग रोल - चाऊमीन - बर्गर - मोमोज - चाट - चटनी - गोलगप्पे - मिर्च मसाला युक्त आहार - टमाटर - खटाई - अचार - आइसक्रीम कोल्ड ड्रिंक - कढ़ी आदि आहार अथवा भोजन का सेवन ना करें ।
Sinusitis / साइनोसाइटिस की चिकित्सा -
1. उपरोक्त बताए गए अपथ्यों का सेवन ना करें ।
2. एलर्जी उत्पन्न करने वाले घटक द्रव्यों / Allergens से दूरी बनाकर रखें ।
3. जल नेति - गुनगुने नमक मिश्रित जल से प्रातः काल और शाम नियमबद्ध जलनेति करें ।
4. नासा मार्ग अवरुद्ध अथवा बंद होने पर , आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित तेल से नस्य / Nasal Drop लें । ‘नस्य’ प्रक्रिया , Nasal Decongestant की तरह भी लाभप्रद होती हैं ।
5. तरल पदार्थ , Juice , Soup , Coffee , हल्दी का दूध और गुनगुने पानी का अधिक से अधिक सेवन करें ।
6. निरंतर आंवले का मुरब्बा , हल्दी के दूध के साथ सुबह - शाम सेवन करें ।
7. गरम पानी से भीगी पट्टी को दिन में दो बार आंखों के चारों रखकर सिकाई करें ।
8. नासा मार्ग / नाक को बंद ना होने दें , बंद होने की दशा में सुबह - शाम नियम से Steam Inhalation / भांप लें ।
9. प्रातः काल और रात को सोते हुए सरसों के तेल में उंगली डूबो कर नाक के अंदर , सफाई के बाद लगाकर रखें ।
10. कफशामक औषधियां जैसे दालचीनी , काली मीर्च , पिप्पली , सोंठ , हल्दी , जैसी उष्ण वीर्य आयुर्वेद औषधि , वासा आदि का एकल अथवा योग के रूप में चाय , दूध , गरम काढ़ा , भोजन आदि विभिन्न रूपों में सेवन करना चाहिए ।
CLICK & OPEN
उपरोक्त बताए गए सभी बिंदुओं व निरंतर प्रयोग करने पर आप Sinusitis / साइनोसाइटिस जैसे कष्टप्रद रोग से निजात पा सकते हैं , किंतु अगर उपरोक्त बिंदुओं के प्रयोग करने के उपरांत भी आपको उचित स्वास्थ्य लाभ प्राप्त नहीं होता तो तुरंत किसी निकटवर्ती ENT Specialist अथवा प्रशिक्षित , कुशल , अनुभवी “आयुर्वेद चिकित्सक” से परामर्श प्राप्त कर , स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें , क्योंकि Sinusitis / साइनोसाइटिस की अगर लंबे समय तक समुचित चिकित्सा नहीं की जाती हैं , तो इससे और अधिक कष्टप्रद रोग जैसे Brain Abscess , Meningitis , Acute Bronchitis , Pharyngitis , Nasal Polyp आदि रोग उपद्रव स्वरूप उत्पन्न होने की संभावनाएं हो सकती हैं ।
धन्यवाद ।
Note - उपरोक्त लेख , केवल स्वास्थ्य जन जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।