Friday, October 29, 2021

#Sinusitis treatment in Ayurveda by Dr. Saket Kumar/mob.08439017594/साकेत गर्ग/सहारनपुर/भारत

                                नमस्कार देवी और सज्जनों , मैं पुनः आप सब के समक्ष “ स्वस्थ भारत .... स्वस्थ समाज ” की अवधारणा को नया आयाम देने के उद्देश्य से , आप सभी लोगों का अभिनंदन और स्वागत करते हुए , आप सभी को सादर नमन करता हूॅं । मित्रों आज का स्वास्थ्य विषय हैं - Sinusitis / साइनोसाइटिस , जिसे आमतौर पर हम Sinus / साइनस और “ आयुर्वेद ” के दृष्टिकोण से “ कफज - वातज अस्थिगत शोथ ” के नाम से समझ सकते हैं । 

                                  आइए जानने की का प्रयास करते हैं कि आखिर Sinusitis / साइनोसाइटिस किस प्रकार की व्याधि और क्यों हैं ?  मुख्यतः अगर कहा जाए तो हमारी आंख के चारों को कुछ अस्थियॉं / Bones जैसे - Frontal , Maxillary , Sphenoid , Ethamoid Bones होती हैं जो आंतरिक रुप से Air Filled या हवा से भरी हुई खोखली होती हैं , जिन्हें हम Sinus / साइनस  कहते हैं । जिनकी Inner lining / आंतरिक श्लेष्मधरा कला से निरंतर स्राव निकलता रहता हैं , जो नासा मार्ग / Nasal Cavity में स्रावित होता रहता हैं । किसी भी कारण से अगर Sinus की आंतरिक श्लेष्मधरा कला में किसी भी प्रकार का Infection हो जाता हैं तो कला में सूजन / Swelling / Inflammation उत्पन्न हो जाती हैं । तथा वहॉं दूषित Infected mucus / स्राव एकत्रित होने लगता हैं और जो , नासा मार्ग के माध्यम से Sinus / साइनस से नहीं निकल पाता तथा स्थिति और ज्यादा कष्टप्रद हो जाती हैं । इसी रोगावस्था को ही हम Sinusitis / साइनोसाइटिस के नाम से जानते हैं ।  


Sinusitis / साइनोसाइटिस के मुख्य कारण -

1. लंबे समय तक या बार-बार Viral Common Cold / नजला - जुखाम का बने रहना ।

2.  धूल - धुआं - Pollen - Smell - Egg - Cold Air - Cloth Fiber आदि और भी अन्य द्रव्यों से किसी प्रकार की Allergy / एलर्जी का होना ।

Sinusitis / साइनोसाइटिस के सामान्य लक्षण - 

1. आंखों के चारों ओर दर्द रहना ।

2. Sinus/ साइनस को दबाने पर तेज दर्द  होना ।

3. सिर में भारीपन के साथ सिर दर्द का निरंतर बने रहना ।

4. नासा मार्ग से बार-2 पीले - हरे रंग का गाढ़े स्राव /Infected mucus का स्रावित या उसका जम जाना ।

5. नासा मार्ग का बंद रहने से सांस लेने में दिक्कत होना ।

6. बदबूदार सांस का आना ।

7. गर्दन या सिर के हिलने पर चक्कर आना ।

8. शरीर में अत्यधिक कमजोरी होना ।

9. प्रायः बुखार जैसी स्थिति या बुखार का ही प्रतीत होना आदि ।

Sinusitis / साइनोसाइटिस में अपथ्य -

1. ठंडी तासीर के आहार अथवा तरल पदार्थों का सेवन ना करें ।

2. ठंडे जल का सेवन ना करें ।

3. मैदे से निर्मित आहार द्रव्य जैसे ब्रेड - भटूरे , फास्ट फूड जैसे स्प्रिंग रोल - चाऊमीन - बर्गर - मोमोज - चाट - चटनी - गोलगप्पे - मिर्च मसाला युक्त आहार - टमाटर -  खटाई - अचार - आइसक्रीम कोल्ड ड्रिंक - कढ़ी आदि आहार अथवा भोजन का सेवन ना करें ।

Sinusitis / साइनोसाइटिस की चिकित्सा -

1. उपरोक्त बताए गए अपथ्यों का सेवन ना करें ।

2. एलर्जी उत्पन्न करने वाले घटक द्रव्यों / Allergens से दूरी बनाकर रखें ।

3. जल नेति -  गुनगुने नमक मिश्रित जल से प्रातः काल और शाम नियमबद्ध जलनेति करें ।

4. नासा मार्ग अवरुद्ध अथवा बंद होने पर , आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित तेल से नस्य / Nasal Drop लें । ‘नस्य’ प्रक्रिया , Nasal Decongestant की तरह भी लाभप्रद होती हैं ।

5. तरल पदार्थ , Juice , Soup , Coffee , हल्दी का दूध और गुनगुने पानी का अधिक से अधिक सेवन करें ।

6. निरंतर आंवले का मुरब्बा , हल्दी के दूध के साथ सुबह - शाम सेवन करें ।

7. गरम पानी से भीगी पट्टी को दिन में दो बार आंखों के चारों रखकर सिकाई करें ।

8. नासा मार्ग / नाक को बंद ना होने दें , बंद होने की दशा में सुबह -  शाम नियम से Steam Inhalation / भांप लें ।

9.  प्रातः काल और रात को सोते हुए सरसों के तेल में उंगली डूबो कर नाक के अंदर , सफाई के बाद लगाकर रखें ।

10.  कफशामक औषधियां जैसे दालचीनी , काली मीर्च , पिप्पली , सोंठ ,  हल्दी , जैसी उष्ण वीर्य आयुर्वेद औषधि , वासा आदि का एकल अथवा योग के रूप में चाय , दूध , गरम काढ़ा , भोजन आदि  विभिन्न रूपों में सेवन करना चाहिए ।

                                CLICK & OPEN

                 https://youtu.be/xu_E_WYTHwI

            उपरोक्त बताए गए सभी बिंदुओं व निरंतर प्रयोग करने पर आप Sinusitis / साइनोसाइटिस जैसे कष्टप्रद रोग से निजात पा सकते हैं , किंतु अगर उपरोक्त बिंदुओं के प्रयोग करने के उपरांत भी आपको उचित स्वास्थ्य लाभ प्राप्त नहीं होता तो तुरंत किसी निकटवर्ती ENT Specialist अथवा प्रशिक्षित , कुशल , अनुभवी “आयुर्वेद चिकित्सक” से परामर्श प्राप्त कर , स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें ,  क्योंकि Sinusitis / साइनोसाइटिस की अगर लंबे समय तक समुचित चिकित्सा नहीं की जाती हैं , तो इससे और अधिक कष्टप्रद रोग जैसे Brain Abscess , Meningitis , Acute Bronchitis , Pharyngitis , Nasal Polyp आदि रोग उपद्रव स्वरूप उत्पन्न होने की संभावनाएं हो सकती हैं ।                 

                                      धन्यवाद ।

Note - उपरोक्त लेख , केवल स्वास्थ्य जन जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।


Note - Article पढ़ने के बाद Comments Section में अपने विचार / Views / Comment जरूर लिखें ।

Monday, October 18, 2021

#Colitis और #संग्रहणी...कष्टसाध्य नहीं हैं अब

                                        सभी सम्मानित देवियों और सज्जनों को  “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा के तहत , मेरा पुनः नमन एवं आप सभी का अभिनंदन । मित्रों आज का स्वास्थ्य का विषय , साधारण होते हुए भी असाधारण रूप से हमारे स्वास्थ्य हेतु अनेक दुष्प्रभाव उत्पन्न करने वाला रोग हैं । जिसे प्रायः आप आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में COLITIS/कोलाइटिस और बहुत हद तक आयुर्वेद के दृष्टिकोण से अगर कहा जाए तो “ संग्रहणी ” और आमतौर पर सामान्य भाषा में बड़ी आंत में सूजन के नाम से जानते हैं ।
                       मित्रों अगर हम आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की बात करें तो COLITIS/कोलाइटिस में , हमारी बड़ी आंत/Colon में सूजन/Inflammation हो जाती हैं , जो एक प्रकार का कष्टसाध्य रोग हैं और बड़ी मुश्किल से ठीक होने वाली व्याधि हैं । अगर मैं आयुर्वेद के दृष्टिकोण का विस्तार पूर्वक आपके समक्ष विचार-विमर्श करूं तो “ संग्रहणी ” एक प्रकार का ऐसा रोग हैं , जो आधुनिक जीवन शैली और दूषित आहार-प्रणाली जनित “ मन्दाग्नि ” के कारण होता हैं ।
                                                       आइए Colitis/कोलाइटिस और संग्रहणी को संयुक्त रुप से , इनके प्रमुख कारण , लक्षण और इनकी चिकित्सा के बारे में विचार-विमर्श करते हुए जानने का प्रयास करते हैं । 


Colitis/कोलाइटिस और संग्रहणी के सामान्य कारण - 

1. शीतल पदार्थ या ठंडी तासीर वाले रुक्ष अन्न का लगातार सेवन करना ।
2. आवश्यकता से अधिक , समय पर भोजन ना करना ।
3. पूर्व में ग्रहण किए गए भोजन के पचने से पूर्व ही पुनः भोजन ग्रहण करना ।
4. लंबे समय से बाहर होटल आदि का अधिक मसालेदार और तैलीय दूषित अन्न का लगातार सेवन करना ।
5. लंबे समय से कब्ज का बने रहना ।
6. आहार में रेशेदार भोजन / जैसे गाजर-मूली , चुकुन्दर , अदरक , सेम फली , अमरुद आदि का अभाव अथवा सेवन ना करना ।
7. ठंडा , बासी , जल्दी-जल्दी भोजन का सेवन करना ।
8. भूखे पेट रहना ।
9. मैदे से निर्मित अन्न और फास्ट फूड जैसे स्प्रिंग रोल , मोमोज , चाऊमीन , बर्गर , (मिर्च-मसालेदार , तैलीय पदार्थ ) आदि का अधिक सेवन करना ।
10. लम्बे समय तक या बार-बार Antibiotics & Steroids का सेवन करना ।


Colitis/कोलाइटिस और संग्रहणी के सामान्य लक्षण -

1. नाभि के नीचे बाईं तरफ लगातार/सतत दर्द का बने रहना । कभी-कभी यह दर्द नाभि के चारों ओर और नाभि के नीचे भी स्थानांतरित होता हैं । 
2. अल्प मात्रा में मल के बार-बार निग्रह करने की इच्छा होना । किंतु जाने पर पूर्ण रूप से मल निग्रहीत/Stool Pass Out नहीं होता हैं ।
3. मल में चिकनाई जैसा म्यूकस का स्राव का आना ।
4. हाथ-पैर में सूजन का बने रहना ।
5. भोजन खाने में किसी भी प्रकार की इच्छा नहीं होती हैं ।
6. थोड़ा भोजन करने के बाद ही अजीर्ण , अपचन , गैस , पेट में भारीपन की अवस्था का बने रहना ।
7. शरीर में कमजोरी का महसूस होना ।
8. भोजन अथवा किसी भी प्रकार का अन्य अन्न ग्रहण करते ही, तुरंत अथवा कुछ समय बाद मल निग्रहण/Stool Pass Out की इच्छा होना ।
9. कभी-कभी बहुत पतला या कभी-कभी बहुत बद्ध ( कब्जयुक्त Semi-Solid Stool) मल का निग्रहण करना ।
10. Colitis/कोलाइटिस और संग्रहणी के उपद्रव की अवस्था में , रक्त मिश्रित मल भी निकलता हैं क्योंकि बड़ी आंत में Ulcer/व्रण बन जाते हैं । इस रोग को Ulcerative Colitis/अल्सरेटिव कोलाइटिस कहते हैं जो एक प्रकार से अत्यंत कष्टसाध्य/Bad Prognosis विकार हैं ।

      

               ‌‌                                                     मित्रों , देवियों और सज्जनों ,अगर आप लोगों की आहार-प्रणाली और दैनिक जीवन-शैली दूषित हैं और आपमें उपरोक्त बताए गए लक्षण दर्शित/दिखाई देते हैं तो इसकी बहुत बड़ी संभावनाएं हैं कि आप Colitis/कोलाइटिस और संग्रहणी रोग से ग्रसित हैं । आइए इन रोग की चिकित्सा सिद्धांतों के बारे में चर्चा करें ।

                 https://youtu.be/S3Q_Tc0GB5U


COLITIS/कोलाइटिस और संग्रहणी के सामान्य चिकित्सा सिद्धांत -

1. अल्प मात्रा में , भूख से थोड़ा-सा कम और संतुलित आहार का यथोचित समय पर सेवन करें ।
2. आहार में रेशेदार अन्न का प्रचुर मात्रा में सेवन करें ।
3. पूर्व खाए हुए अन्न के पच जाने पर ही दोबारा भोजन का सेवन करना चाहिए ।
4. हल्का , सुपाच्य और गर्म भोजन का ही सेवन करें ।
5. भोजन में दीपन और पाचन (Appetite Booster & Digestive Tonic) आहार और औषध द्रव्यों का सतत प्रयोग करें ।
6. कसी हुई अदरक पर सेंधा नमक छिड़क कर , नींबू निचोड़ कर , सलाद के रूप में भोजन के साथ ग्रहण करें ।
7. भोजन के साथ , दिन में कम से कम दो बार घृत/घी में भुने हुए जीरे युक्त मठ्ठे का सेवन करें ।
8. कब्ज ना रहने दें ।
9. रात्रि में सोते समय गर्म पानी की बोतल से पेट की सिकाई करें । 10. दैनिक जीवन शैली में सिर्फ गर्म पानी ही पीने के लिए इस्तेमाल करें ।
11. पोषणयुक्त और संतुलित आहार का सेवन करें ।
12. मिल्क अथवा मिल्क प्रोडक्ट , कोल्ड ड्रिंक , चाकलेट से परहेज़ करें ।
13. अपनी जठराग्नि को बढ़ाने वाले द्रव्यों का दैनिक आहार प्रणाली में जरूर इस्तेमाल करें , जैसें चित्रक , चव्य , सोंठ , काली मिर्च , पिप्पली आदि ।
     

                       उपरोक्त चिकित्सा सिद्धांत का प्रयोग करने से आप कोलाइटिस और संग्रहणी जैसें कष्टप्रद रोग से बहुत हद तक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं , किंतु अगर तब भी आप Colitis/कोलाइटिस और संग्रहणी नाम के रोग से ग्रस्त रहते हैं तो मेरी सलाह और निजी अनुभव अनुसार “ आयुर्वेद चिकित्सा ” द्वारा इन रोगो का समुचित और प्रभावी समाधान किया जा सकता हैं । 

                     आपका स्वास्थ्य....हमारा लक्ष्य

NOTE - उपरोक्त लेख केवल स्वास्थ्य जनजागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी , व्यवसायिक और चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक/प्रार्थी , क्षमा प्रार्थनीय हैं ।
                                      
                                      धन्यवाद ।
                    Dial BHARAT .. 08439017594

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