समस्त स्वास्थ्य मित्रों को “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा के संज्ञान में, मेरा पुनः नमन और अभिनंदन । देवियों और सज्जनों आज का स्वास्थ्य विषय हैं “ PEPTIC Ulcer ” ।
जिसे सामान्य भाषा में ‘ पेट में अल्सर ’ और आयुर्वेद विज्ञान ‘ अन्नद्रव शूल और परिणाम शूल ’ के समरूप कह सकते हैं । वैसे तो इस रोग के बहुत कारण होते हैं किंतु कुछ मुख्य कारणों को नीचे इंगित किया जा रहा हैं -
Peptic Ulcer के मुख्य कारण -
1. मिर्च - मसाला , आचार , और Spicy diet का निरंतर और अधिक मात्रा में ग्रहण करना ।
2. मीट - मछली - अंडे आदि मांसाहारी आहार का सेवन करना ।
3. बीड़ी , तम्बाकू , सिगरेट , शराब / एल्कोहल आदि अन्य नशीले पदार्थों और तेज चाय , काॅफी , कोल्डड्रिंक जैसे पेय पदार्थों का अधिक और लंबे समय तक प्रयोग करना ।
4. खाने में रेशेदार / Fibrous Diet जैसे सूरण की सब्जी , गाजर , खीरा , चुकुन्दर , नाशपाती , चीकू , संतरा , पपीता , केला , अमरूद आदि फलों - सब्जियों - और सलाद का अभाव या इन्हें कम खाना ।
5. बिना रेशेदार आहार जैसे मैदे से निर्मित आहार अथवा फास्ट फूड मोमोज , चाऊमीन , बर्गर , स्प्रिंग रोल , पिज्जा आदि का अधिक सेवन करना ।
6. कम पानी पीना या भोजन के तुरंत बाद पानी का सेवन करना ।
7. शारीरिक श्रम एवं एक्सरसाइज और योग आदि को ना करना ।
8. भोजन की अनियमित मात्रा अर्थात कभी ज्यादा कभी कम सेवन करना और भोजन को नियमित समय पर ना लेते हुए कभी बहुत जल्दी और कभी भोजन काल के बहुत बाद में भोजन ग्रहण करना ।
9. Liver / यकृत संबंधी किसी बिमारी से ग्रसित होना ।
10. आधुनिक जीवन शैली और दूषित आहार प्रणाली का सेवन करना ।
11. शारीरिक श्रम एवं एक्सरसाइज और योग आदि को ना करना एवं मानसिक तनाव से ग्रस्त रहना ।
Peptic Ulcer के सामान्य लक्षण -
1. पेट के ऊपरी हिस्से में अधिकतर मध्य भाग में दर्द बने रहना ।
2. भोजन के पहले अथवा बाद में पेट दर्द का होना । अधिकतर यें दर्द रात्रि में 2 - 3 बजे के बाद होता हैं ।
3. पेट में गैस , तेजाब / Acidity का निरंतर बनें रहना ।
4. कभी - कभी मुंह में खट्टा पानी का आना और छाती में जलन का होना ।
5. भोजन करने के बाद पेट में अपचन और भारीपन का होना ।
6. अधिक तीव्र प्रकोप में , व्रण / Ulcer से रक्तस्राव / Bleeding का होना आदि ।
Peptic Ulcer की चिकित्सा -
उपरोक्त उपायों को इस्तेमाल कर बहुत हद तक आप Peptic Ulcer और इसके उपद्रव से मुक्ति पा सकती हैं , किंतु अगर फिर भी आप इस रोग से ग्रस्त ही रहतीं हैं तो शीघ्र ही अपने Family Physician / काय रोग विशेषज्ञ या किसी कुशल , प्रशिक्षित , अनुभवी “ आयुर्वेद चिकित्सक ” से परामर्श लेकर, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
धन्यवाद ।
Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।
11.55 A. M. Or 5.55 P. M./..-..-..
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