नमस्कार देवियों और सज्जनों , मैं पुनः आप सभी लोगों के मध्य “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा को नया आयाम देने के उद्देश्य से एक नए स्वास्थ्य विषय “ सोरिएसिस ” की पुनरावृत्ति क्यों ? , को लेकर उपस्थित होते हुए , आप सभी का अभिनंदन करता हूॅं । आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में Psoriasis तथा आयुर्वेद के दृष्टिकोण से “ एककुष्ठ ” कह सकते हैं ।
मित्रों आइए जानने की कोशिश करते हैं - सोरिएसिस हैं क्या ? , और कारण सहित इसके क्या लक्षण एवं चिकित्सा हैं ?
सोरिएसिस / Psoriasis के कारण -
1. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अनुसार ,इस रोग का कोई सुनिश्चित कारण नहीं हैं ।
2. आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान अनुसार रस धातु में वात और पित्त दोषों की बाहुल्यता के कारण , त्रिदोष विषमता हो जाती हैं । जिसके फलस्वरूप , त्वचा , लसिका , रक्त , मांस धातुएं दूषित हो जाती हैं ।
3. अधिक मानसिक तनाव और ठंडा-गर्म वातावरण परिवर्तन , ऋतु परिवर्तन इस रोग की वृद्धि हेतु Trigger factor हो सकते हैं ।
4. मिर्च - मसालेदार , तैलीय भोजन , अधिक मीठा , चाय , चाऊमीन , बर्गर , स्प्रिंग रोल , पिज्जा आदि फ़ास्ट फूड , और दही का अधिक सेवन करना ।
5. संतुलित आहार , सलाद , फल का कम सेवन करना ।
6. अधर्म , पाप में संलग्न रहना एवं सद्वृत का पालन न करना आदि ।
7. अंडा , मीट - मांस , मछली और दूध का एक साथ सेवन करना आदि ।
सोरिएसिस / Psoriasis के लक्षण -
1. त्वचा में रूखापन और उष्णता बढ़ने के कारण त्वचा में फटन होने से दरारें पड़ जाती हैं ।
2. त्वचा में असहनीय जलन और खुजली होने लगती हैं ।
3. त्वचा में लाल रंग के व्रण Skin Ulcer बन जाते हैं । जिनके ऊपर सफेद पपड़ी निरंतर उतरती रहती हैं ।
4. कभी-2 त्वचा मोटी और अधिक सतह / Multiple Layered Skinवाली हो जाती हैं ।
5. यें व्रण / Skin Uler बार -2 , दबते - उभरते रहते हैं ।
6. शरीर में कमजोरी महसूस करना ।
7. शरीर में मुख्यतः जोड़ो / Joints में अकड़ाहट के साथ दर्द होता हैं ।
8. हल्के-2 बुखार जैसी स्थिति का बने रहना ।
9. सामान्य व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता हैं और रोगी को अकेले रहने की इच्छा होती हैं ।
10. रोगी को भोजन में रूचि नहीं होती हैं ।
11. मैथुन में इच्छा नहीं होती हैं । और रोगी समाजिक रूप से अपने आप को अलग - थलग कर लेता हैं ।
12. रोगी को कम नींद आती हैं ।
सोरिएसिस / Psoriasis , शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर समान रूप से अपना नकारात्मक असर अथवा प्रभाव डालता हैं , अतः सोरिएसिस में , Physical changes के साथ-2 हमारी Psychology भी disturb होती हैं ।
सोरिएसिस / Psoriasis हेतु चिकित्सा सिद्धान्त -
1. उपरोक्त बताए गए सभी कारण अथवा निदानों का संपूर्ण रूप से त्याग करें।
2. नाश्ते में अंकुरित चने , दलिया , दूध , रोटी-सब्जी एवं भोजन में संपूर्ण मात्रा में दाल , हरी पत्तेदार सब्जी , प्रचुर मात्रा में चावल , दो से तीन रोटी और सुबह-शाम एक-2 गिलास दूध , घी का निरंतर सेवन करें।
3. प्रतिदिन निरंतर उचित मात्रा में फल अथवा फलों के जूस , पानी का अधिक से अधिक सेवन करें ।
4. रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करने वाले आहार और औषध जैसे- चिरायता , आंवला , गिलोय , मुलेठी , अश्वगंधा , शतावरी आदि आयुर्वेद औषधि का एकल अथवा योग में निरंतर सेवन करें ।
6. कुष्नाशक आयुर्वेद औषध जैसे - त्रिफला , जाती , सारिवा , खदिर , घृत कुमारी , आंवला का सेवन करें ।
7. लेप धारण - दिन में बार -2 नारीयल तैल और घृत कुमारी / Aloe vera gel को मिलकर त्वचा पर अधिक से अधिक लगाकर रखें ।
8. AntiStress / Anxiety reliever / Antidepressants आयुर्वेद मेध्य रसायन औषधियों जैसे - अश्वगंधा , शतावरी , मुलेठी , ब्राह्मी , सर्पगंधा आदि का निरंतर सेवन करें ।
9. धैर्य रखें i.e. Have Patience .
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. https://youtu.be/FPIbo7kTAvA
उपरोक्त उपायों को इस्तेमाल कर बहुत हद तक आप सोरिएसिस / Psoriasis से मुक्ति पा सकती हैं , किंतु अगर फिर भी आप इस रोग से ग्रस्त ही रहतीं हैं तो शीघ्र ही अपने Family Physician या किसी कुशल , प्रशिक्षित , अनुभवी “ आयुर्वेद चिकित्सक ” से परामर्श लेकर, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
धन्यवाद ।
Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।
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