अगर आप अपने “ मोटापे ” से हीन भावना से ग्रस्त होते हैं, आप अपने दैनिक जीवन के कार्य अच्छी तरह नहीं कर पाते , आप मनपसंद ड्रेस नहीं पहन पाती , थोड़ा सा काम करने में सांस फूलने लगें , शादी- ब्याह , या family gathering में जाने में संकोच महसूस करती हो , तो मत परेशान होइए क्योंकि अब इन समस्याओं का समाधान स्वयं आप खुद कर सकती है ंं , बस जरूरत हैं “ दृढ़ संकल्प या कठोर नहीं बल्कि कठोरत्तम सदवृत संतुलित जीवन ” अपनाने की ।
मित्रों मोटापा , मात्र समाजिक हीन भावना का ही आधार नहीं बनता , अपितु मधुमेह / शुगर , कालेस्टरोल ,फैटी लीवर , ब्लड प्रेशर , हृदय रोग , आर्थाईटिस , स्पाईनल क्षति , संभोग में कठिनाई और मन न लगना आदि जैसी अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को भी उत्पन्न करने में घटक कारण बनता है ंं। वैसे तो मोटापे के कई कारण हो सकते हैं , जिनके ज्ञात होने पर ही सम्पूर्ण चिकित्सा की जानी चाहिए , किन्तु चूंकि चिकित्सा / ईलाज / दवाई एक अलग दिशा है ंं, जिसमें अगर आप अपने संतुलित जीवन की संतुलित आहार-विहार प्रणाली का पुट भी दे दें तो परिणाम आश्चर्यजनक रुप से बहुत सुखद प्राप्त हमें , ये सुनिश्चित हैं ।
मैं यहाँ उन्हीं बिन्दुओं की ओर आपका ध्यान केंद्रित करना चाहता हूँ ताकि आप सुखद जीवन का आनंद उठा सकें । वो प्रयास निम्न हैं -
१. दृढ़ संकल्प एवं कठोरत्तम इच्छाशक्ति और निर्णय ।
२. अपथ्य/ जो सेवन नहीं करने -
(अ) आहार - आलू , चावल , उड़द , राजमा , छोले , पनीर , दही , बैंगन , कटहल , बड़हल , भिस्स , भिंडी , बिरयानी , दूध से बनी मिठाईयाँ-पकवान , किसी भी प्रकार की मिठाई , गुड़ , चीनी , पेठा , मैदे-सूजी से बने आहार द्रव्य , फास्ट फूड जैसे- चाऊमिन , बर्गर , मोमोज , स्प्रिंग रोल , इडली , डोसा , पिज़्ज़ा , चाट , आलू की टिक्की , चिप्स , चाकलेट , बिस्कुट , नमकीन , शराब , कोल्डड्रिंक , आइसक्रीम , पेस्टी , पेटीज का “ दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ पूर्ण बहिष्कार ” करें ।
(ब) विहार - 6 घंटे से अधिक , दिन में कभी और खाने के तुरन्त बाद न सोए । भूख से अधिक और एक साथ अधिक खाना ना खाए । खाने के तुरंत बाद पानी न पीये । अनावश्यक रूप से शारीरिक आराम न करें ।
३. पथ्य/ जो सेवन करने हैं -
(अ) आहार - सुबह उठकर खाली पेट 2 गिलास गर्म पानी या सादे पानी में दो नींबू निचोड़कर , रात में भिगोई 4-5 फली लहसुन की बारीक काटकर रोज ग्रहण करें । नाश्ते में दलिया , हरी सब्जियों जैसे लौकी , खीरे का जूस , मुरमुरो की चाट का ही सेवन करें । लंच और डिनर में मुख्यतः लौकी , तरोई , टिंडे , शिमला मिर्च , गाजर , मूंग-मसरी-अरहर की दाल के साथ , जौ के आटे से निर्मित रोटी के साथ “ अदरक की सलाद नींबू निचोड़कर ” रोज सेवन करें । खाने से 15 मिनट पूर्व गर्म पानी पीए । रोज 2-3 गिलास मठ्ठा पीयें ।
(ब) विहार - सुबह उठकर तेज गति से पसीना आने तक अनुमानित 3 किमी टहलने जाए अथवा 10 मिनट रस्सी कूदे । प्रतिदिन कपालभाति , प्राणायाम का प्रयोग करें । सिर्फ गर्म पानी ही पीए । अधिक शारीरिक और मानसिक श्रम करें । कमजोरी न आने की स्थिति तक संभोग की प्रवृत्ति और संख्या में बढोत्तरी करें । थोड़ा- थोड़ा भोजन कई बार चबाकर करें । आंवले की गुठली या जौ की भूसी के पाउडर को शरीर पर लगड़े और ‘ आयुर्वेद चिकित्सक ’ की देखरेख में सतत् रूक्ष स्वेदन / Dry fomentetion का प्रयोग करें । रोज पेट साफ रखें ।
विशेष औषधीय चिकित्सा -
कफशामक और मेदधातुशामक औषधियों जैसे - शुण्ठी , पिप्पली , काली मिर्च , दालचीनी , आंवला , चित्रक , हल्दी , अर्जुन , गुग्गुल , नागरमोथा , हरीतकी , विडंग , कालमेघ , कांचनार , अग्निमंथ , जौ का आटा , ताम्र भस्म , लौह - मण्डूर भस्म , मठ्ठा , शहद आदि एकल औषधियों अथवा इनसे निर्मित योगो का आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श उपरांत सतत सेवन करें ।
अगर आप उपरोक्त बिन्दुओं का दृढ़ता से पालन कर लेगें तो शायद आपको किसी औषधि ईलाज की भी आवश्यकता न पड़े । किन्तु अगर आप चिकित्सक को भी दिखाए तो अनुभवी , प्रशिक्षित चिकित्सक से ही परामर्श लें । अनावश्यक बाजार में उपलब्ध औषधियों का प्रयोग कर अपने स्वास्थ्य से न खेले । क्योंकि आपका स्वास्थ्य अनमोल है ंं।
धन्यवाद ।
Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया है जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।
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nice prescription!!🙌
ReplyDeleteThank you for appreciation
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