Sunday, February 27, 2022

शीघ्रपतन/Premature Ejaculation by Dr. Saket Kumar mob.08439017594/साकेत गर्ग/सहारनपुर/भारत

                                                            देवियों और सज्जनों को मेरा पुनः “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा को अग्रसर करते हुए , सहृदय नमन और आप सभी का पुनः अभिनंदन ।                                                                     मित्रों आज का स्वास्थ्य का विषय हैं - Premature Ejaculation & it's treatment जिसे हम सामान्य भाषा में “ शीघ्रपतन ”और आयुर्वेद के दृष्टिकोण से “ शुक्र धातु वैगुण्यता / शुक्र व्यापद् ” कह सकते हैं । 

वर्तमान समय में हम आधुनिकता की आड़ में कहीं न कहीं पौरुष क्षमता को खो बैठे है ं । प्रायः ये देखा गया है कि, नवयुवक पीढ़ी में भी संभोग क्षमता में नकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है ं ।

                                                                इस प्रकार के अनेक लक्षण, जैसे - लिंग में तनाव की कमी, संभोग के दौरान या उससे पूर्व ही वीर्यपात हो जाना, संभोग में जननांग में दर्द होना, संभोग में जननांग में जलन होना, वीर्य का बहुत पतला आना, संभोग में अरुचि और उसको निरर्थक विषय मानना आदि अनेक नकारात्मक लक्षण नवयुवक पीढ़ी को अंदर ही अंदर कुंठित करते हैं । जिसके परिणामस्वरूप मानव संसाधन न तो अपने दैनिक कार्यो को अच्छे से ही कर पाता हैं अपितु वह निरर्थक ही अप्रशिक्षित और अपंजीकृत चिकित्सकों से चिकित्सा लेने में मजबूर हो जाता है । यहाँ तक की वह बेहद हृदय के लिए खतरनाक सिद्ध होने वाली आधुनिक औषधि/Allopathic medicine  का सतत् प्रयोग कर, अपने आप को अंधेरे में डूबा देता हैं ।

आइए आज ऐसी ही मुख्य समस्या “ शीघ्रपतन ” को समाधान सहित , जानने और समझने का सार्थक प्रयास करते हैं ।


“ शीघ्रपतन ” क्या हैं ? -

संभोग / Sex / Sexual Intercourse के समय या इसकी शुरुआत की अवस्था में जैसे - Fore Play , Kissing या यहां तक की अपने स्त्री मित्र / पत्नी साथी के साथ संभोग के स्पर्श मात्र या विचार मात्र से ही , लिंग / Male Sex Organ / Penis से , यौन संतुष्टि से पहले ही वीर्य / Semen का स्खलित या निकल जाना ही शीघ्रपतन हैं ।

“ शीघ्रपतन ” के कारण क्या हैं ? -

इसके मुख्यता कई कारण हो सकते हैं , जैसे -

अ.) Psychological causes

ब.) Mental causes

स.) Physical causes

 अ.) Psychological causes - यह शीघ्रपतन के होने का सर्वाधिक पाए जाने वाला कारण हैं , जो प्रायः उन लोगों को होता हैं जो नवविवाहित या पहली बार संभोग / Sex करने जा रहे हो । ऐसी अवस्था में पुरुष साथी के मन में संभोग / Sex को लेकर अनेक प्रश्न जैसे - संभोग कैसे करना हैं ? इसकी कैसे शुरूआत करनी है ? कौन - २ से आसनों / Sexual Positions का इस्तेमाल श्रेष्ठतम रहेगा ? क्या मैं अपनी पत्नी , प्रेमिका या स्त्री मित्र को संतुष्ट कर पाऊंगा ? आदि । यहां तक कि Sex को लेकर अत्यधिक यौन उत्तेजना या इच्छा / Hyper Sexual Excitement के कारण भी पुरुष साथी Male , ऊहापोह या Negative Sexual Behaviour की अवस्था में Sex करता है और वह शीघ्र ही वीर्यपतन कर बैठता है । किंतु यह कारण सामान्य स्वाभाविक  है और Sexual Education से इसका बेहतर समाधान किया जा सकता हैं ।

ब.) Mental causes - अगर उपरोक्त कारण आपको मानसिक क्षति पहुंचाता है और आप पर हावी होकर आप में Sex Phobia उत्पन्न कर देता है या अन्य भी मानसिक तनाव जैसे - Depression / अवसाद , Stress / मानसिक तनाव , Unwanted Sex / अनचाहा संभोग , Sex not in proper suitable place and environment / असुरक्षित जगह या वातावरण में संभोग , Quick sex or Sex in hurry / संभोग में जल्दबाजी , Forcedful sex / जबरदस्ती संभोग या बलात्कार आदि अशांत मानसिक अवस्था में संभोग या Sex करने पर भी शीघ्रपतन की अवस्था उत्पन्न हो जाती हैं ।

स.) Physical causes - शरीर में Male Hormone -  Testosterone का सामान्य मात्रा से अधिक मात्रा में होने के कारण और कुछ शारीरिक रोग जैसे - मधुमेह / Diabetes , मूत्र संक्रमण / UTI , पौरूष ग्रंथि में संक्रमण / Prostatitis , या पौरूष ग्रंथि के आकार में वृद्धि / BPH आदि भी शीघ्रपतन के मुख्य कारण हो सकते हैं ।

“ शीघ्रपतन ” को बिमारी कब मानें ? - 

प्रायः इस अवस्था से प्रत्येक दम्पत्ति / लैंगिक साथी को जीवन में एक नहीं अनेक बार गुजरना पड़ता हीं हैं और जो स्वाभाविक अवस्था भी हैं और बिना ईलाज के स्वतः ही सही भी हो जाती हैं । किंतु अगर उपरोक्त अवस्था अर्थात 1 मिनट से पहले वीर्यपतन , लगातार कम से कम 6 से 8 महिने तक रहें और उसकी बार -2 पुनरावृत्ति होती रहें तो इस अवस्था को रोग स्वीकार कर , कुशल , अनुभवी , प्रशिक्षित चिकित्सक से परामर्श लेकर इस रोग का ईलाज कराना सुनिश्चित करना चाहिए ।


Just click and watch link below...by साकेत गर्ग

https://youtu.be/rSZe-slpxbc


 “ शीघ्रपतन ” की अफवाहें / Myth -

इस अवस्था से संबंधित कुछ सवाल और कुछ अफवाहें मेरे रोगियों द्वारा पूछीं जाती रही हैं , जिनका समाधान सहित मेरे द्वारा उत्तर भी बताना यहां आवश्यक और वांछनीय है । जैसे -

प्रश्न 1. शीघ्रपतन बचपन में की गई गलतियों के कारण होने वाली बिमारी है ।

उत्तर - नहीं ।

प्रश्न 2 . शीघ्रपतन शारीरिक गुप्त रोग है ।

उत्तर - नहीं ।

प्रश्न 3 . शीघ्रपतन शारीरिक मर्दानी कमजोरी उत्पन्न करता है ।

उत्तर - नहीं ।

प्रश्न 4 . शीघ्रपतन के कारण बच्चे नहीं होते ।

उत्तर - ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं ।

प्रश्न 5 . शीघ्रपतन अधिक हस्तमैथुन के कारण होने वाला रोग है ।

उत्तर - बिल्कुल नहीं ।

प्रश्न 6 . शीघ्रपतन का ईलाज संभव नहीं है ।

उत्तर - इस रोग पूरी तरह सही किया जा सकता हैं ।

प्रश्न 7 . शराब पीकर Sex करने में यह समस्या खत्म हो जाती हैं ।

उत्तर - बिल्कुल नहीं , अपितु शुरू में Psychologically शराब का              तात्कालिक लाभ मिल सकता हैं , किन्तु कुछ समय बाद यह              समस्या और अधिक बढ़ जाती हैं ।

 “ शीघ्रपतन ” की चिकित्सा -

ऐमें मैं अपने चिकित्सीय अनुभव के आधार पर आपको मात्र दस उपाय अपनाने की सलाह दे रहा हूँ, ताकि आप कुशल संभोग कर अपने पार्टनर को और स्वयं को पूर्ण संतुष्ट कर सकें । जैसे-

1. उपरोक्त कारणों को समझ कर उनका त्याग करें

2. संभोग करने से पूर्व, मानसिक तनाव से दूर रहे | किसी भी प्रकार        का भय, ग्लानी, जल्दबाजी में संभोग न करें | अपने पार्टनर की          अनुमति या इच्छा होने पर ही संभोग करने के बारे में सोचें ।

3. संभोग करने  से पूर्व, वातावरण अनुकूल बना ले | जैसे - संभोग          वाली जगह भय रहित, सौगंधयुक्त, उचित तापमान वाली , और          पार्टनर की मनपसंद वस्तुओं से युक्त हो ।

4. संभोग से पूर्व, रोमांचक बातों द्वारा एवं चुंबन, अंग स्पर्श आदि             /fore play द्वारा पार्टनर को संभोग करने हेतु उत्तेजित कर             मानसिक स्थिति में जरूर ले जाए ।

5. संभोग शुरू होते हुए सिर्फ संभोग संबंधित विषयों पर ही टिप्पणी      अथवा संभोग को प्रेरित करने वाली बातें ही करें, अन्य किसी भी        विषय या परिवारिक समस्या का स्मरण या चर्चा न करें ।

6. योनि विस्तारण / Vaginal Opening अथवा लिंग                        उत्थान/Erectile Penis की दशा में ही संभोग / Penis                Pentration प्रारंभ करें ।

                 Penis entry / लिंग प्रवेश से पूर्व , लिंग पर कोई              प्राकृतिक Lubricant / चिकनाई जैसे - तैल आदि या                      Condom आदि  लगाकर Sex प्रारंभ करना चाहिए ।

7.  संभोग कलाओं/Sex Position में निरन्तर परिवर्तन करते रहे ंं |       हमेशा एक ही कला में संभोग न करें ।

8. संभोग की इच्छा वाले दिन अथवा रात्रि के समय या उससे पूर्व          अपने पार्टनर को कोई उपहार भेंट कर या Surprised  देकर            प्रसन्नचित्त रखें | किसी भी प्रकार के विवादित विषय या मतभेद          या चर्चा से बचें अथवा दूर रहें ।

9. अपने व्यापार/Bussiness loss, नौकरी/Job insecurity or      Demotion, परिवारिक असफलता Familiar disput, का            जिम्मेदार पार्टनर को न ठहराए ।

10. अपने पार्टनर की किसी और से तुलना न करें | संभोग सफल या        असफल होने की दोनों ही दशा में पार्टनर को आलिंगन करते हुए        कुछ समय आत्मियता स्वरूप लेटे रहे ं। 

                                             शीघ्रपतन की स्थिति में पत्नी प्रेमिका या महिला साथी को धैर्य रखते हुए , अपने पुरूष साथी या पति को धनात्मक सोच रखने के साथ पुनः प्रयास करने हेतु स्वयं ही लैंगिक रूप से उत्तेजित करना चाहिए । ना कि किसी भी प्रकार का नकारात्मक वचन कहते हुए निराश नहीं होना चाहिए ।    

औषधीय चिकित्सा / Meicinal Treatment -

                      संभोग एक कला हैं , जिसे निश्चित ही ऊपर बताए गए विहार / व्यवहार / आचरण / नियमों द्वारा और अधिक बेहतर बनाया जा सकता हैं , किन्तु उपरोक्त बिन्दुओं के साथ-साथ अगर आयुर्वेदीय “ वाजीकरण चिकित्सा ” और इसके आधीन “ वृष्य / Aphrodisiacs ” , मेध्य रसायन / Antidepressants & Mood Relaxant आयुर्वेद औषधियों जैसे - अश्वगंधा(मेध्य) , माष , कपिकच्छू (मेध्य) , गोक्षुर , अकरकरा (शुक्रस्तम्भक) , शुण्ठी , मूसली , जातीफल (शुक्रस्तम्भक) , अमृता(मेध्य) , वंश , शतावरी (मेध्य) , श्रंगाटक , केशर ,भांग (शुक्रस्तम्भक) , धतूरा (शुक्रस्तम्भक) , अहिफेन (शुक्रस्तम्भक) , तगर (मेध्य) , शिलाजीत , गोघृत , गोदुग्ध , रस योग और स्वर्ण - नाग - वंग - यशद भस्म आदि औषधियों का एकल या इनसे निर्मित योगो का , किसी कुशल , अनुभवी , प्रशिक्षित आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा  परामर्श उपरांत प्रयोग करें ।

                                                 उपरोक्त उपायों को इस्तेमाल कर बहुत हद तक आप शीघ्रपतन / Premature Ejaculation & it's Complications /  उपद्रव से मुक्ति पा सकती हैं , किंतु अगर फिर भी आप इस रोग से ग्रस्त ही रहतीं हैं तो शीघ्र ही अपने Family Physician / काय रोग विशेषज्ञ या किसी कुशल , प्रशिक्षित , अनुभवी  आयुर्वेद चिकित्सक ” से परामर्श लेकर, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं और संभोग को और अधिक बेहतर करते हुए हम अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।

                                     धन्यवाद ।

Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।  

                                     

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Wednesday, February 9, 2022

#Peptic Ulcer & it's treatment by Dr. Saket Kumar/mob.08439017594/#साकेत गर्ग**/#भारत**

                                                                  समस्त स्वास्थ्य मित्रों को “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा के संज्ञान में, मेरा पुनः नमन और अभिनंदन । देवियों और सज्जनों आज का स्वास्थ्य विषय हैं “ PEPTIC Ulcer ” । 

                             जिसे सामान्य भाषा में ‘ पेट में अल्सर ’ और आयुर्वेद विज्ञान ‘ अन्नद्रव शूल और परिणाम शूल ’ के समरूप कह सकते हैं । वैसे तो इस रोग के बहुत कारण होते हैं किंतु कुछ मुख्य कारणों को नीचे इंगित किया जा रहा हैं -

Peptic Ulcer के मुख्य कारण -

1.  मिर्च - मसाला , आचार , और Spicy diet का निरंतर और अधिक मात्रा में ग्रहण करना ।

2. मीट - मछली -  अंडे आदि मांसाहारी आहार का सेवन करना ।

3. बीड़ी , तम्बाकू , सिगरेट , शराब / एल्कोहल आदि अन्य नशीले पदार्थों और तेज चाय , काॅफी , कोल्डड्रिंक जैसे पेय पदार्थों का अधिक और लंबे समय तक प्रयोग करना ।

4. खाने में रेशेदार / Fibrous Diet जैसे सूरण की सब्जी , गाजर , खीरा , चुकुन्दर , नाशपाती , चीकू , संतरा , पपीता , केला , अमरूद  आदि फलों - सब्जियों - और सलाद का अभाव या इन्हें कम खाना ।

5. बिना रेशेदार आहार जैसे मैदे से निर्मित आहार अथवा फास्ट फूड मोमोज , चाऊमीन , बर्गर , स्प्रिंग रोल , पिज्जा आदि का अधिक सेवन करना ।

6. कम पानी पीना या भोजन के तुरंत बाद पानी का सेवन करना ।

7. शारीरिक श्रम एवं एक्सरसाइज और योग आदि को ना करना ।

8. भोजन की अनियमित मात्रा अर्थात कभी ज्यादा कभी कम सेवन करना और भोजन को नियमित समय पर ना लेते हुए कभी बहुत जल्दी और कभी भोजन काल के बहुत बाद में भोजन ग्रहण करना ।

9. Liver / यकृत संबंधी किसी बिमारी से ग्रसित होना ।

10. आधुनिक जीवन शैली और दूषित आहार प्रणाली का सेवन करना ।

11. शारीरिक श्रम एवं एक्सरसाइज और योग आदि को ना करना एवं मानसिक तनाव से ग्रस्त रहना ।

Peptic Ulcer के सामान्य लक्षण -

1. पेट के ऊपरी हिस्से में अधिकतर मध्य भाग में दर्द बने रहना ।

2. भोजन के पहले अथवा बाद में पेट दर्द का होना । अधिकतर यें दर्द रात्रि में 2 - 3 बजे के बाद होता हैं ।

3. पेट में गैस , तेजाब / Acidity का निरंतर बनें रहना ।

4. कभी - कभी मुंह में खट्टा पानी का आना और छाती में जलन का होना ।

5. भोजन करने के बाद पेट में अपचन और भारीपन का होना ।

6.  अधिक तीव्र प्रकोप में , व्रण / Ulcer से रक्तस्राव / Bleeding का होना आदि ।


Peptic Ulcer की चिकित्सा -

1. शारीरिक श्रम न करना आदि उपरोक्त सभी कारणों का त्याग करना । जैसे - नियमित रूप से प्रात:काल योग , व्यायाम , Morning walk , Excercise आदि को करना ।

2. प्रातःकाल  खाली पेट , 2-3 गिलास नींबू पानी अथवा गर्म पानी का सेवन करना और अतिरिक्त पानी पीकर , पेट से पानी निकालकर उल्टी कर दें ।

3. नाश्ते में अंकुरित चने , सोयाबीन , दलिया , आटे के जवे , रोटी-सब्जी , फल , दूध ( घृत युक्त ) आदि का नियमित सेवन करना ।

4. लंच - डीनर में बिना छाने आटे की रोटी , सब्जी , दाल , आदि का खीरा - ककड़ी - गाजर की सलाद के साथ सेवन करना ।

5. भोजन से प्राय एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक जल का सेवन ना करना ।

6. भोजन के तुरंत बाद ना सोना ।

7. अधिक तेजाब और छाती में जलन होने पर , निरंतर एक गिलास दूध से दो केले , या 1/2 कप गुनगुने पानी में 1/4 चम्मच खाने का सोडा मिलाकर पीए ।
 
8. रोज रात्रि में सत् ईसबगोल / त्रिफला चूर्ण / निशोथ चूर्ण  1-2 चम्मच / 1 कप पानी में भिगोकर अमलतास की फलमज्जा (गुद्दी) आदि शक्कर के दूध अथवा गर्म जल से सेवन करें । 

9. निरंतर दिनचर्या में सुबह - शाम गर्म पानी से खाली पेट , हरड़ या आंवले का मुरब्बा या सफेद पेठे के टुकड़े ग्रहण करें ।

10. भरपूर नींद लें और मानसिक तनाव कम करें



CLICK & WATCH ..... above link of #PEPTIC ULCER
            

                                        उपरोक्त उपायों को इस्तेमाल कर बहुत हद तक आप Peptic Ulcer और इसके उपद्रव से मुक्ति पा सकती हैं , किंतु अगर फिर भी आप इस रोग से ग्रस्त ही रहतीं हैं तो शीघ्र ही अपने Family Physician / काय रोग विशेषज्ञ या किसी कुशल , प्रशिक्षित , अनुभवी  आयुर्वेद चिकित्सक ” से परामर्श लेकर, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।                    

                                        धन्यवाद ।

Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।

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Tuesday, February 1, 2022

#Psoriasis treatment by Dr. Saket Kumar/mob.08439017594/#Saket Garg**/#साकेत गर्ग/#Saharanpur/#BHARAT

                                         नमस्कार देवियों और सज्जनों , मैं पुनः आप सभी लोगों के मध्य “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा को नया आयाम देने के उद्देश्य से एक नए स्वास्थ्य विषय  “ सोरिएसिस ”  की पुनरावृत्ति क्यों ? , को लेकर उपस्थित होते हुए , आप सभी का अभिनंदन करता हूॅं । आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में  Psoriasis  तथा आयुर्वेद के दृष्टिकोण से  “ एककुष्ठ ”  कह सकते हैं ।

                                                मित्रों आइए जानने की कोशिश करते हैं - सोरिएसिस हैं क्या ? , और कारण सहित इसके क्या लक्षण एवं चिकित्सा हैं ?

सोरिएसिस / Psoriasis के कारण -

1. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अनुसार ,इस रोग का कोई सुनिश्चित कारण नहीं हैं ।

2. आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान अनुसार रस धातु में वात और पित्त दोषों की बाहुल्यता के कारण , त्रिदोष विषमता हो जाती हैं । जिसके फलस्वरूप , त्वचा , लसिका , रक्त , मांस धातुएं दूषित हो जाती हैं । 

3. अधिक मानसिक तनाव और ठंडा-गर्म वातावरण परिवर्तन , ऋतु परिवर्तन इस रोग की वृद्धि हेतु Trigger factor हो सकते हैं ।

4. मिर्च - मसालेदार , तैलीय भोजन , अधिक मीठा , चाय , चाऊमीन , बर्गर , स्प्रिंग रोल , पिज्जा आदि फ़ास्ट फूड , और दही का अधिक सेवन करना । 

5. संतुलित आहार , सलाद , फल का कम सेवन करना ।

6. अधर्म , पाप में संलग्न रहना एवं सद्वृत का पालन न करना आदि ।

7. अंडा , मीट - मांस , मछली और दूध का एक साथ सेवन करना आदि ।

सोरिएसिस / Psoriasis के लक्षण -

1. त्वचा में रूखापन और उष्णता बढ़ने के कारण त्वचा में फटन होने से दरारें पड़ जाती हैं ।

2. त्वचा में असहनीय जलन और खुजली  होने लगती हैं ।

3. त्वचा में लाल रंग के व्रण  Skin Ulcer  बन जाते हैं । जिनके ऊपर सफेद पपड़ी निरंतर उतरती रहती हैं ।

4. कभी-2 त्वचा  मोटी और अधिक सतह / Multiple Layered Skinवाली हो जाती हैं ।

5. यें व्रण / Skin Uler बार -2 , दबते - उभरते रहते हैं ।

6. शरीर में कमजोरी महसूस करना ।

7. शरीर में मुख्यतः जोड़ो / Joints में अकड़ाहट के साथ दर्द होता हैं ।

8. हल्के-2 बुखार जैसी स्थिति का बने रहना ।

9. सामान्य व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता हैं और रोगी को अकेले रहने की इच्छा होती हैं ।

10. रोगी को भोजन में रूचि नहीं होती हैं ।

11. मैथुन में इच्छा नहीं होती हैं । और रोगी समाजिक रूप से अपने आप को अलग - थलग कर लेता हैं ।

12. रोगी को कम नींद आती हैं ।

                                                      सोरिएसिस / Psoriasis , शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर समान रूप से अपना नकारात्मक असर अथवा प्रभाव डालता हैं , अतः सोरिएसिस में , Physical changes के साथ-2 हमारी Psychology भी disturb होती हैं ।

सोरिएसिस / Psoriasis हेतु चिकित्सा सिद्धान्त -

1. उपरोक्त बताए गए सभी कारण अथवा निदानों का संपूर्ण रूप से त्याग करें।

2. नाश्ते में अंकुरित चने , दलिया , दूध , रोटी-सब्जी एवं भोजन में संपूर्ण मात्रा में दाल , हरी पत्तेदार सब्जी , प्रचुर मात्रा में चावल , दो से तीन रोटी और सुबह-शाम एक-2 गिलास दूध , घी का निरंतर सेवन करें।

3. प्रतिदिन निरंतर उचित मात्रा में फल अथवा फलों के जूस , पानी का अधिक से अधिक सेवन करें ।

4. रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करने वाले आहार और औषध जैसे- चिरायता , आंवला , गिलोय , मुलेठी , अश्वगंधा , शतावरी आदि आयुर्वेद औषधि का एकल अथवा योग में निरंतर सेवन करें ।

6. कुष्नाशक आयुर्वेद औषध जैसे - त्रिफला , जाती , सारिवा , खदिर , घृत कुमारी , आंवला का सेवन करें ।

7. लेप धारण - दिन में बार -2 नारीयल तैल और घृत कुमारी /  Aloe vera gel को मिलकर त्वचा पर अधिक से अधिक लगाकर रखें ।

8. AntiStress / Anxiety reliever / Antidepressants आयुर्वेद मेध्य रसायन औषधियों जैसे - अश्वगंधा , शतावरी , मुलेठी , ब्राह्मी , सर्पगंधा आदि का निरंतर सेवन करें ।

9. धैर्य रखें  i.e. Have Patience .


 .                  Click and watch the link below

 .  https://youtu.be/FPIbo7kTAvA


                                                   उपरोक्त उपायों को इस्तेमाल कर बहुत हद तक आप सोरिएसिस / Psoriasis से मुक्ति पा सकती हैं , किंतु अगर फिर भी आप इस रोग से ग्रस्त ही रहतीं हैं तो शीघ्र ही अपने Family Physician या किसी कुशल , प्रशिक्षित , अनुभवी  आयुर्वेद चिकित्सक ” से परामर्श लेकर, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।

                                     धन्यवाद ।

Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।


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