Sunday, September 26, 2021

#Thyroid..एक मुख्य ग्रंथी

                    सभी देवियों और सज्जनों को मेरी ओर से सादर नमन और “ स्वस्थ भारत .... स्वस्थ समाज ” की मुहिम को आगे बढ़ाने में , आप सबके सहयोग हेतु अभिनंदन ।   मित्रों आज का स्वास्थ्य विषय हैं - “ थायराइड ग्रंथि की क्रिया शैली ” 

          प्राय:यह देखा गया हैं कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से जहॉं आधुनिक विज्ञान ने अतुलनीय तरक्की की हैं , वहीं यह भी एक दुर्भाग्यपूर्ण कटु सत्य सामने आया हैं कि हमारी खुद की दूषित आधुनिक दिनचर्या तथा दूषित आहार-प्रणाली , चाहें उसमें केमिकल और पेस्टिसाइड जनित अन्न हो या हमारी फास्ट फूड जैसे मोमोज , चाऊमीन , बर्गर , पिज्जा , स्प्रिंग रोल आदि के प्रति हमारी बढ़ती अनैतिक रूचि , आधुनिक मशीनों पर निर्भरता हो ।  इन सबका यह परिणाम देखने को मिला हैं कि हमारे शरीर में , शरीर को संचालित करने वाली ग्रंथियां में अनावश्यक नकारात्मक परिवर्तन होते रहते हैं ।देवियों और सज्जनों , हमारे शरीर में ‘ थाॅयराइड ’ / THYROID GLAND एक प्रकार की ऐसी ग्रंथि हैं जिससे एक प्रकार के हाॅर्मोन थाॅयरोक्सिन / THYROXINE स्रावित होता हैं । थाॅयराइड स्वत: , मस्तिक स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि /PITUATORY GLAND द्वारा संचालित होती हैं । मित्रों थाॅयराइड ग्रंथि से निकलने वाला थाॅयराॅक्सिन हाॅर्मोन , हमारे शरीर में बी.एम.आर. ( Basal Metabolic Rate ) के अतिरिक्त अन्य बहुत से कार्य संपादित करता हैं । आधुनिक जीवन शैली और दूषित आहार-प्रणाली के फलस्वरुप थाॅयराइड ग्रंथि में नकारात्मक परिवर्तन आते हैं , जिसके कारण या तो थाॅयराइड ग्रंथि सामान्य से कम कार्य (Hypothyroidism) करने लगती हैं और या थाॅयराइड ग्रंथि सामान्य से अतिरिक्त कार्य (Hyperthyroidism)  करने लगती हैं ।

                           देवियों और सज्जनों जब आपकी थाॅयराइड  ग्रंथि सामान्य अवस्था में कार्य करती हैं , तो आपका स्वास्थ्य सामान्य रहता हैं । किंतु अगर थाॅयराइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली में नकारात्मक परिवर्तन चाहें  कम कार्य करना या अधिक कार्य करना आदि आते हैं तो आप स्वत: लक्षणों को देखकर कैसे जानेंगे कि आपकी थाॅयराइड ग्रंथि , Hypothyroidism or Hyperthyroidism , किस अवस्था की ओर संकेत दे रही हैं । आइए जानते हैं -

Hypothyroidism के सामान्य लक्षण - 

1. शरीर में कमजोरी और थकावट ।

2. शरीर में वजन का बढ़ना ।

3. शरीर के वजन का बढ़ना ।

4. भूख बहुत कम लगना ।

5. अपेक्षाकृत ज्यादा ठंड लगना अथवा ठंड के प्रति असहनशीलता ।

6. शुष्क और खुरदुरी त्वचा ।

7. चेहरे पर सूजन और भारीपन का दिखना ।

8. बालों का ज्यादा टूटना ।

9. हृदय धड़कन का सामान्य से कम होना ।

10. अवसाद या डिप्रेशन महसूस करना ।

11. आवाज में शुष्कता या खर्र-खर्राहट ।

12. लगातार कब्ज का बना रहना या पेट साफ न होना । 

13. अवसाद अथवा डिप्रेशन महसूस करना । 

14. शरीर में रक्त की कमी होना ।

15. संभोग क्षमता का कम होना और संभोग में मन ना लगना ।

16. मासिक धर्म में अनियमितता या बहुत कम मासिक धर्म स्राव होना आदि ।

 

Hyperthyroidism के सामान्य लक्षण - 

1. शरीर के वजन में बहुत ज्यादा कमी आना ।

2. भूख का सामान्य से ज्यादा लगना ।

3. गर्मी के प्रति असहनशीलता और अधिक पसीना आना ।

4. चिड़चिड़ापन , अवसाद अथवा डिप्रेशन महसूस करना । 

5. शरीर में खुजली ।

6. पतले मल त्याग की  बार-बार प्रवृत्ति ।

7. बार-बार पेशाब आना ।

8. हृदय धड़कन का सामान्य से अधिक होना ।

9. बालों का बहुत ज्यादा झड़ना ।

10. हाथों में कंपन अथवा हाथों का कार्य करते हुए कांपना ।

11. घुरने जैसे आंखों का दिखाईं देना आदि ।


                                                    देवियों और सज्जनों , उपरोक्त लक्षण संपूर्ण या अल्प रूप में , अगर आपमें दिखाई दें तो यह सुनिश्चित करें कि आपको किसी भी प्रकार की थाॅयराइड समस्या तो नहीं हैं । और अगर आपको अस्वस्थता महसूस होती हैं , तो निश्चित ही निकट किसी भी अनुभवशाली एवं प्रशिक्षित , पंजीकृत एंडोक्राइनोलॉजिस्ट अथवा  आयुर्वेद चिकित्सक ’ से अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराकर , चिकित्सा परामर्श लेकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें । प्राय : आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का जहॉं तक प्रश्न हैं , उसमें यह कहा जाता हैं कि थाॅयराइड संबंधित समस्या में निरंतर , लंबे समय तक , कभी-कभी तो संपूर्ण जीवन काल तक आधुनिक औषधि (Allopathic medicine) रोगी को लेनी पड़ती हैं । 

         ‌‌‌‌               किंतु जहॉं तक मेरा अपना निजी आयुर्वेद चिकित्सा संबंधित अनुभव हैं , थाॅयराइड संबंधित समस्या में आयुर्वेद चिकित्सा सरल , सुरक्षित , और ज्यादा प्रभावी चिकित्सा हैं तथा थाॅयराइड की सामान्य अवस्था आने पर , आयुर्वेद चिकित्सा या औषधि का संपूर्ण जीवन भर इस्तेमाल नहीं करना पड़ता हैं , यह मेरा आश्वासन और आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति दृढ़ विश्वास हैं ।



                                               आपका स्वास्थ्य मेरा लक्ष्य हैं और आपका स्वास्थ्य राष्ट्र की संपत्ति हैं , जिसका समुचित ख्याल रखना आपका निजी और चिकित्सक का व्यवसायिक , एवं राष्ट्र के प्रति सुदृढ़ कर्तव्य हैं । 

Note - उपरोक्त लेख , केवल स्वास्थ्य के प्रति जन जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया हैं , किसी भी प्रकार की सामाजिक अथवा चिकित्सीय त्रुटि लेखक अथवा प्रार्थी को क्षमा प्रार्थी होगी ।

                         “ स्वस्थ रहें ...... मस्त रहें ”

                                       धन्यवाद ।

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Thursday, September 23, 2021

#Piles in Man & Woman & गर्भावस्था की मुख्य ज्वलंत समस्या...‘अर्श’/PILES

समस्त नारी शक्ति को “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की मुहीम में, मेरा पुनः नमन और अभिनंदन । वैसे तो , आज का स्वास्थ्य संबंधित विषय ऐसा हैं जो स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान रूप से प्रभावित करता हैं और यह भी कटु सत्य हैं कि समाज का एक बड़ा वर्ग इस रोग से , संकोचवश किसी प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा उचित परामर्श लिए बगैर , कष्टकारी जीवन जीने को मजबूर  हैं । आइए हम स्वास्थ्य संभाषा / चर्चा को प्रारंभ करते हैं । देवियों और सज्जनों आज का स्वास्थ्य विषय हैं “ अर्श ”/Piles/Haemorrhoids । जिसे सामान्य भाषा में ‘ बवासीर ’ के नाम से जानते हैं । 

सामान्यतः विषय की गंभीरता को देखते हुए जो आहार - विहार इस लेख में बताए जाएंगे , वह पुरुष और स्त्री दोनों पर समान रूप से लागू होंगे । किंतु फिर भी इस लेख को मुख्यतः “ महिला स्वास्थ्य ” को ध्यान में रखते हुए समर्पित कर रहा हूॅं । क्योंकि स्त्रियां , समाज की अनमोल धरोहर हैं और वें ,उस अनमोल धरोहर का एक अनमोल किरदार “ माता ” के रूप में निभाते हुए , समाज को पूर्ण बनाती हैं । 

                      “ गर्भावस्था ” जैसे कठोर जीवन पथ पर चलते हुए स्त्री / माता जब बच्चे अथवा संतान को जन्म देती है तो उसे असीम  और असहनीय शारीरिक और मानसिक दबाव और पीड़ा झेलनी पड़ती है , जिसका अंदाजा एक पुरुष वर्ग या पुरुष जाति निश्चित रूप से कभी नहीं लगा सकती । और उसी दबाव के कारण शरीर में विशेषतया: शौचकर्म के मार्ग /Anus-Anal Canal-Perianal region को रक्त पूर्ति / Blood Supply करने वाली रक्त वाहिनियों Blood Vessels पर असहनीय दबाव पड़ता हैं , जिसके कारण प्रसूता अथवा Delivery होने के उपरांत माताओं में शौच मार्ग में अर्श / Piles उत्पन्न हो जाते हैं । जिसमें से समय-2 पर रक्त स्राव /Bleeding और दर्द होता रहता हैं । और स्त्री अथवा माताएं संकुचित स्वभाव और समाजिक प्रतिष्ठा हानि के कारण , बिना किसी उचित चिकित्सा परामर्श के ही , ठीक होने का निरर्थक प्रयास और इंतजार करती रहती हैं । जिसका परिणाम यह होता हैं कि जो वह बिमारी निरंतर बढ़ती जाती हैं और धीरे-धीरे दवाई से ठीक ना होकर शल्य चिकित्सा /Surgery द्वारा ‘ही’  ठीक होने की दशा में पहुॅंच जाती हैं । वैसे तो इस रोग के बहुत कारण होते हैं किंतु कुछ मुख्य कारणों को नीचे इंगित किया जा रहा हैं -

अर्श / Piles के मुख्य कारण -

1. स्त्रियों में गर्भावस्था में शौच मार्ग में रक्त वाहिनियों पर अनियंत्रित - अत्याधिक दबाव।

2. खाने में रेशेदार / Fibrous Diet जैसे सलाद आदि का अभाव ।

3. कम पानी पीना ।

4. शारीरिक श्रम एवं एक्सरसाइज और योग आदि को ना करना ।

5. भोजन की अनियमित मात्रा अर्थात कभी ज्यादा कभी कम सेवन करना ।

6. भोजन को नियमित समय पर ना लेते हुए कभी बहुत जल्दी और कभी भोजन काल के बहुत बाद में भोजन ग्रहण करना ।

7. बिना रेशेदार आहार जैसे मैदे से निर्मित आहार अथवा फास्ट फूड मोमोज , चाऊमीन , बर्गर , स्प्रिंग रोल , पिज्जा आदि का अधिक सेवन करना ।

8. मिर्च - मसाला , आचार को निरंतर अधिक मात्रा में ग्रहण करना ।

9. मीट - मछली आदि मांसाहारी आहार का सेवन करना ।

10. बीड़ी , तम्बाकू , सिगरेट ,  शराब/एल्कोहल आदि अन्य नशीले पदार्थों का लगातार और लंबे समय तक प्रयोग करना ।

11. Liver/यकृत संबंधी किसी बिमारी से ग्रसित होना ।

12. लंबे समय से “ कब्ज ” का बने रहना । अथवा शौच कर्म में देर तक बैठे रहना और शौच करते हुए दबाव या जोर लगाना ।

13. आधुनिक जीवन शैली और दूषित आहार प्रणाली का सेवन करना ।

14. एक ही पोजीशन में लगातार बैठे रहना अथवा लगातार खड़े रहना ।

अर्श / Piles के सामान्य लक्षण -

1. शौच के समय या उसके बाद शौच में रक्तस्राव / हानि का होना ।

2. शौच के समय और बाद में शौच मार्ग में दर्द होना ।

3. शौच मार्ग से किसी भी प्रकार का मांस / गांठ का बाहर आना ।

4.  शौच मार्ग में सूजन / Swelling का बने रहना।


चिकित्सा -

1. शारीरिक श्रम न करना आदि उपरोक्त सभी कारणों का त्याग करना । 
जैसे - नियमित रूप से प्रात:काल योग , व्यायाम , Morning walk , Excercise आदि को करना ।
2. प्रातःकाल  खाली पेट , 2-3 गिलास नींबू पानी अथवा गर्म पानी का सेवन करना ।
3. नाश्ते में अंकुरित चने , सोयाबीन , मोठ ,दलिया , आटे के जलवे , रोटी-सब्जी , फल , दूध आदि का नियमित सेवन करना ।
4. लंच-डीनर में बिना छाने आटे की रोटी , सब्जी , दाल , आदि का खीरा-ककड़ी-गाजर की सलाद के साथ सेवन करना ।
5. भोजन से प्राय एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक जल का सेवन ना करना ।
6. भोजन के तुरंत बाद ना सोना ।
7. निरंतर अग्नि अथवा भूख बढ़ाने वाले औषध द्रव्य जैसे -  सोंठ , मरिच , पिपली , हींग , जीरा , चित्रक आदि का सेवन करना ।
8. रोज रात्रि में सत् ईसबगोल एक चम्मच शक्कर के दूध अथवा गर्म जल से सेवन करें । 
9. निरंतर दिनचर्या में सुबह-शाम गर्म पानी से खाली पेट , हरड़ का मुरब्बा ग्रहण करें ।
10. शौच करते हुए ज्यादा जोर या दबाव न लगाएं ।

                      https://youtu.be/jcCrZI3j_yk

                                          अगर स्त्रियों अथवा माताओं को ऊपर बताई गई आहार - विहार प्रधान चिकित्सा का विशेषता अनुपालन करना चाहिए ताकि वह स्वत: स्वस्थ रहकर भावी पीढ़ी , संपूर्ण समाज और संपूर्ण परिवार को एक नई ऊर्जा और शक्ति प्रदान कर सकें । 



उपरोक्त लेख माताओं , स्त्रियों और गर्भावस्था में वर्तमान में भावी संतान को जन्म देने की इच्छा से कष्टप्रद शारीरिक और मानसिक पीड़ा को जो सहन कर रहीं हो , ऐसी कठिन दिनचर्या का सामना करने वाली सभी महिला और नारी शक्ति को निजी रूप से सादर नमन और उनका अभिनंदन करते हुए समर्पित कर रहा हूं ।

                                      क्योंकि

               “ स्त्री स्वस्थ हैं तो राष्ट्र स्वस्थ हैं ”

           


                     

                                    धन्यवाद ।

Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।

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Tuesday, September 14, 2021

#Fissure in ano..commonest in teenagers/Adolescent girls

नमस्कार देवियों और सज्जनों मैं पुनः एक नए स्वास्थ्य संबंधी विषय #Fissure In Ano को लेकर आप सबके मध्य स्वास्थ्य जन जागरूकता के उद्देश्य से आया हूॅं । आज की व्याधि/रोग #Fissure In Ano एक बहुत ही सामान्य व्याधि हैं जो विशेषतः Teenagers Girls को समर्पित कर रहा हूॅं । 
                                                  
                      वैसे तो #Fissure In Ano एक ऐसा रोग हैं जिससे हर आयु वर्ग चाहे वह स्त्री हो या पुरुष , सभी इससे आक्रांत रहते हैं , किंतु प्राय: यह देखा गया हैं कि आधुनिक जीवन शैली और दूषित आहार-प्रणाली विशेषकर फास्ट फूड कल्चर , भोजन में फाइबर की कमी , ऐसे रोगजनक कारण Teenagers Girls (अथवा 13 वर्ष से 25 वर्ष की लड़कियां ) में ज्यादा मिलते हैं , अतः यही कारण है कि #Fissure In Ano , इस उम्र की लड़कियों अथवा Teenagers Girls को ज्यादा प्रभावित करता हैं । #Fissure In Ano को आयुर्वेद में #परिकर्तिका नाम से जाना जाता हैं , जिसका शाब्दिक अर्थ ‘ कैंची के समान पीड़ा या दर्द ’ होना हैं । आइए #Fissure In Ano के बारे में जानते हैं - आखिर यह होता क्या हैं ?

Fissure In Ano/परिकर्तिका के सामान्य लक्षण - 

1. गुदा अथवा शौचकर्म के मार्ग में कैंची के कर्तन के समान असहनीय तीव्र पीड़ा या दर्द का होना । प्राय: यह दर्द , शौच करते समय या उसके कुछ समय उपरांत तक भी बना रहता हैं ।
2. गुदा मार्ग/शौचकर्म के मार्ग में खुजली और जलन का होना ।
3. कभी-कभी शौच के साथ लगकर रक्तस्राव अथवा Bleeding भी होती हैं ।




Fissure In Ano/परिकर्तिका के सामान्य कारण - 

1. शारीरिक श्रम में कमी ।
2. प्रतिदिन जल का कम सेवन ।
3. फास्ट फूड का अधिक सेवन जैसे स्प्रिंग रोल , मोमोज , चाऊमीन , बर्गर , पिज्जा आदि मैदे से बने पकवानों का अधिक सेवन करना ।
4. भोजन में फाइबर की कम मात्रा तथा सलाद रहित भोजन करना । 5. योग , व्यायाम , दौड़ , Morning walk, Excercise का ना करना ।
6. तथा उपयुक्त सभी कारणों के कारण , लंबे समय से कब्ज/Constipation का बने रहना आदि ।

Fissure In Ano/परिकर्तिका की चिकित्सा - 

1. शारीरिक श्रम न करना आदि उपरोक्त सभी कारणों का त्याग करना । 
जैसे - नियमित रूप से प्रात:काल योग , व्यायाम , दौड़ , Morning walk , Excercise आदि को करना ।
2. प्रातःकाल  खाली पेट , 2-3 गिलास नींबू पानी अथवा गर्म पानी का सेवन करना ।
3. नाश्ते में अंकुरित चने , सोयाबीन , मोठ ,दलिया , आटे के जलवे , रोटी-सब्जी , दूध आदि का नियमित सेवन करना ।
4. लंच-डीनर में बिना छाने आटे की रोटी , सब्जी , दाल , आदि का खीरा-ककड़ी-गाजर की सलाद के साथ सेवन करना ।
5. भोजन से प्राय एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक जल का सेवन ना करना ।
6. भोजन के तुरंत बाद ना सोना ।
7. निरंतर अग्नि अथवा भूख बढ़ाने वाले औषध द्रव्य जैसे -  सोंठ , मरिच , पिपली , हींग , जीरा , चित्रक आदि का सेवन करना ।
8. रोज रात्रि में सत ईसबगोल एक चम्मच शक्कर के दूध अथवा गर्म जल से सेवन करें । 
9. निरंतर दिनचर्या में सुबह-शाम गर्म पानी से खाली पेट , हरड़ का मुरब्बा ग्रहण करें ।
10. शौच करते हुए ज्यादा जोर या दबाव न लगाएं ।
               
                  https://youtu.be/cg3C1m1KgBg
                           
                                  अगर आप उपरोक्त सभी रोगजनक घटक कारणों का त्याग कर , अपनी जीवन शैली को उत्तम बनाते हैं और दिनचर्या में बताए गए बिंदुओं पर विचार करते हुए उनका पालन करते हैं तो निश्चित रूप से आपको बहुत ही अच्छे एवं धनात्मक परिणाम प्राप्त होंगे । किंतु अगर आपको या आपकी सुपुत्री (Included son too) को उपरोक्त कारण द्रव्यों के त्याग और चिकित्सा में बताए गए बिंदुओं के पालन करने पर भी ##Fissure In Ano रोग और इसके कष्टकारी लक्षणो से निजात नहीं मिलती हैं , तो मेरा आपसे अनुरोध हैं कि निकटवर्ती किसी ‘आयुर्वेद चिकित्सक’ अथवा अगर संभव हो सके तो “क्षारसूत्र चिकित्सा विशेषज्ञ” से संपर्क कर अपने रोग का समाधान कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
                       जहॉं तक कि मेरा निजी चिकित्सीय अनुभव हैं तो #Fissure In Ano एक असहनीय तीव्र पीड़ादायक गंभीर व्याधि हैं , जिससे आपकी सुपुत्री एक दर्दकारक जीवन जीने को मजबूर हैं ।

                                       कृपया करके शर्म और संकोच का त्याग करें और इस रोग का समाधान सुनिश्चित करें । अनुभव में मैं आपको विश्वास दिला सकता हूं कि तुलनात्मक रूप से इस रोग में , आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति द्वारा सुसाध्य और बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैैं । आपकी सुपुत्री का स्वास्थ्य अनमोल हैं , और अनमोल स्वास्थ्य की सुरक्षा करना मात-पिता होने के कारण आपकी समाजिक और चिकित्सक होने के कारण हमारी चिकित्सीय जिम्मेदारी हैं ।
                                      
                                      धन्यवाद ।


Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।


                       
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Saturday, September 11, 2021

#PCOD....कहीं मुझे तो नहीं ? #Common Gynae health problem

नमस्कार,

       सभी नारी शक्ति को पुनः सादर नमन । देवियों आज एक बहुत ही गंभीर किंतु आधुनिक युग में बहुत ही सामान्य रोग , जो हमारी नारी शक्ति के स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से निरन्तर प्रभावित कर रहा है । ऐसे ही रोग पर मैं आज आप लोगों के समक्ष विचार-विमर्श करने जा रहा हूॅं ।  देवियों इस रोग से आप शायद चित-परिचित भी होंगी, यह रोग हैं - PCOD / पीसीओडी ,जिसे आप सामान्य भाषा में ‘ पानी वाली गांठ ’ के नाम से भी जानते हैं ।

                               जहॉं आज आधुनिक समय में हम लोग बहुत सुख-सुविधाओं के आदी हो गए हैं , वहीं यह भी कटु सत्य है कि इन सुख-सुविधाओं का उपयोग करते हुए , हम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से प्रतिक्षण-प्रतिदिन कमजोर होते जा रहे हैं । स्वास्थ्य सुविधाएं तो बढ़ी हैं , लेकिन उसके बावजूद भी एकाकी रूप से हमारे स्वास्थ्य में कई नकारात्मक परिवर्तन अथवा आयाम आए हैं और इसका मुख्य कारण अधिक सुख-सुविधाओं के अनुरूप हमारे शारीरिक परिश्रम में बहुत बड़ी कमी आई हैं , क्योंकि आज के जन-जीवन में हम अपने सभी शारीरिक कार्यों का क्रियान्वयन , मशीनों के द्वारा करने लगे हैं  और महिलाओं पर इस आधुनिक और दूषित जीवन-शैली का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा हैं । PCOD/पीसीओडी उसी नकारात्मक प्रभाव की उपज व्याधि बन कर उभरी हैं । 

                 आपको जानकर आश्चर्य होगा , कि PCOD से शादीशुदा महिलाएं ही नहीं अपितु Teenagers/अविवाहित लड़कियां भी रोग ग्रस्त हो रही है , क्योंकि हमारी दिनचर्या बहुत दूषित हो चुकी है , जैसे - प्रातःकाल देर से उठना , रात को देर से सोना , नाश्ते में फास्ट फूड आदि का सेवन करना , पेस्टिसाइड युक्त आहार का सेवन करना , लंच - डिनर में किसी भी प्रकार का संतुलित आहार ना लेना , अपितु इसकी जगह ब्रेड , चाऊमीन , बर्गर , स्प्रिंग रोल , पिज्जा आदि , दूषित आहार - शैली का अभीन्न अंग बन गए हैं । कम उम्र की लड़कियों और कुछ हद तक विवाहित महिलाओं द्वारा ऐसी जीवन शैली को स्वीकृत कर लिया गया हैं । किसी भी प्रकार का शारीरिक श्रम , सुबह की व्यायाम , योग , दैनिक कार्य खुद करना आदि , यह कुछ ऐसे कार्य हैं , जिनसे आधुनिक नारी शक्ति ने कहीं ना कहीं ,  कुछ ना कुछ हद तक दूरी बना ली हैं और इन कार्यों का स्थान मशीनों या अन्य मानवीय सहायक संसाधन/Maid/Helper द्वारा ले लिया गया हैं । 

            देवियों मेरी बातों को सामाजिक रुप से ना लेकर स्वास्थ्य के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए स्वीकृति प्रदान कीजिएगा और इस स्वास्थ्य जागरूकता बेला को आगे बढ़ाते हुए , मैं PCOD/पीसीओडी के कुछ सामान्य लक्षण आप लोगों को बता रहा हूॅं । अगर आपके शरीर में ये लक्षण दर्शित होते हैं तो यह सुनिश्चित है कि आप PCOD/पीसीओडी नाम की व्याधि से रोग ग्रस्त हो चुकी हैं या ग्रस्त होने की अधिक संभावनाएं हैं । जैसे -

PCOD के सामान्य लक्षण - 

1. चेहरे पर मुहांसों / Acne का अधिक होना ।

2. शरीर में मुख्यतः चेहरे पर बालों का ज्यादा होना ।

3. आवाज का पहले से ज्यादा भारी / मोटी हो जाना ।

4. शरीर के वजन में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हो जाना ।

5. मासिक धर्म में अनियमितता होना ।

6. आप के नाभी के नीचे पेढू में दर्द होना ।

7. आपकी कमर में दर्द होना ।

8. व्यवहार में आश्चर्यजनक आक्रामक और गुस्से जैसे मानसिक    परिवर्तन का होना ।

9. बन्ध्या अथवा बच्चे पैदा ना होना आदि जैसी विकट सामाजिक   समस्या का उत्पन्न होना । 

                           देवियों अगर उपरोक्त में से आपको अपने शरीर में कुछ लक्षण दर्शित होते हैं तो यह आवश्यक हो जाता है कि आप अपनी दूषित और आधुनिक जीवन शैली में अचूक धनात्मक परिवर्तन करें  और अधिक शारीरिक श्रम पर बल देते हुए , दूषित आहार प्रणाली को त्याग दें । अगर उपरोक्त से भी आपको स्वास्थ्य में धनात्मक लाभ प्राप्त नहीं होता तो आवश्यक है कि आप शीघ्र ही किसी कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा ‘ आयुर्वेद चिकित्सक ’ द्वारा परामर्श प्राप्त , अपने रोग का निदान करें ।

           


 

                   PCOD/पीसीओडी में जहॉं तक कि मेरा अपना निजी अनुभव है आयुर्वेद चिकित्सा सुरक्षित, सरल और प्रभावी चिकित्सा हैं । आपसे अनुरोध है कि किसी भी स्वास्थ्य समस्या की चिकित्सा पंजीकृत एवं प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा ही कराएं , क्योंकि आपका और आपकी सुपुत्री का स्वास्थ्य अनमोल हैं और जो इस देश और समाज की अग्रिम धरोहर हैं। अतः आवश्यक हो जाता है कि स्त्रियों को पूर्ण रूप से स्वस्थ रहना चाहिए ताकि वह परिवार , समाज और देश के विकास और समृद्धि में रीड़ की हड्डी के समान मील का पत्थर साबित हो ।                


Note : उपरोक्त लेख केवल स्वास्थ्य जागरूकता को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है किसी भी प्रकार की सामाजिक अथवा चिकित्सीय त्रुटी हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं ।

                                      धन्यवाद ।

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Tuesday, September 7, 2021

#Three tips of loosing weight by #Dr. Saket Kumar/#BHARAT

           अगर आप अपने “ मोटापे ” से हीन भावना से ग्रस्त होते हैं, आप अपने दैनिक जीवन के कार्य अच्छी तरह नहीं कर पाते , आप मनपसंद ड्रेस नहीं पहन पाती , थोड़ा सा काम करने में सांस फूलने लगें , शादी- ब्याह , या family gathering में जाने में संकोच महसूस करती हो , तो मत परेशान होइए क्योंकि अब इन समस्याओं का समाधान स्वयं आप खुद कर सकती है ंं , बस जरूरत हैं  “ दृढ़ संकल्प या कठोर नहीं बल्कि कठोरत्तम सदवृत संतुलित जीवन ” अपनाने की ।



                                                       मित्रों मोटापा , मात्र समाजिक हीन भावना का ही आधार नहीं बनता , अपितु मधुमेह / शुगर , कालेस्टरोल ,फैटी लीवर , ब्लड प्रेशर , हृदय रोग , आर्थाईटिस , स्पाईनल क्षति , संभोग में कठिनाई और मन न लगना आदि जैसी अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को भी उत्पन्न करने में घटक कारण बनता है ंं। वैसे तो मोटापे के कई कारण हो सकते हैं , जिनके ज्ञात होने पर ही सम्पूर्ण चिकित्सा की जानी चाहिए , किन्तु चूंकि चिकित्सा / ईलाज / दवाई एक अलग दिशा है ंं, जिसमें अगर आप अपने संतुलित जीवन की संतुलित आहार-विहार प्रणाली का पुट भी दे दें तो परिणाम आश्चर्यजनक रुप से बहुत सुखद प्राप्त हमें , ये सुनिश्चित हैं । 

मैं यहाँ उन्हीं बिन्दुओं की ओर आपका ध्यान केंद्रित करना चाहता हूँ ताकि आप सुखद जीवन का आनंद उठा सकें । वो प्रयास निम्न हैं -

१. दृढ़ संकल्प एवं कठोरत्तम इच्छाशक्ति और निर्णय

२. अपथ्य/ जो सेवन नहीं करने - 

(अ) आहार - आलू , चावल , उड़द , राजमा , छोले , पनीर , दही ,  बैंगन , कटहल , बड़हल , भिस्स , भिंडी , बिरयानी , दूध से बनी मिठाईयाँ-पकवान , किसी भी प्रकार की मिठाई ,  गुड़ , चीनी , पेठा , मैदे-सूजी से बने आहार द्रव्य , फास्ट फूड जैसे- चाऊमिन , बर्गर , मोमोज , स्प्रिंग रोल , इडली , डोसा , पिज़्ज़ा , चाट , आलू की टिक्की , चिप्स , चाकलेट , बिस्कुट , नमकीन , शराब , कोल्डड्रिंक , आइसक्रीम , पेस्टी , पेटीज का “ दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ पूर्ण बहिष्कार ” करें

(ब) विहार - 6 घंटे से अधिक , दिन में कभी और खाने के तुरन्त बाद न सोए । भूख से अधिक और एक साथ अधिक खाना ना खाए । खाने के तुरंत बाद पानी न पीये । अनावश्यक रूप से शारीरिक आराम न करें ।

. पथ्य/ जो सेवन करने हैं -

(अ) आहार - सुबह उठकर खाली पेट 2 गिलास गर्म पानी या सादे पानी में दो नींबू निचोड़कर , रात में भिगोई 4-5 फली लहसुन की बारीक काटकर रोज ग्रहण करें । नाश्ते में दलिया , हरी सब्जियों जैसे लौकी , खीरे का जूस , मुरमुरो की चाट का ही सेवन करें । लंच और डिनर में मुख्यतः लौकी , तरोई , टिंडे , शिमला मिर्च , गाजर , मूंग-मसरी-अरहर की दाल के साथ , जौ के आटे से निर्मित रोटी के साथ “ अदरक की सलाद नींबू निचोड़कर ” रोज सेवन करें । खाने से 15 मिनट पूर्व गर्म पानी पीए । रोज 2-3 गिलास मठ्ठा पीयें ।

(ब) विहार - सुबह उठकर तेज गति से पसीना आने तक अनुमानित 3 किमी टहलने जाए अथवा 10 मिनट रस्सी कूदे । प्रतिदिन कपालभाति , प्राणायाम का प्रयोग करें । सिर्फ गर्म पानी ही पीए । अधिक शारीरिक और मानसिक श्रम करें । कमजोरी न आने की स्थिति तक संभोग की प्रवृत्ति और संख्या में बढोत्तरी करें । थोड़ा- थोड़ा भोजन कई बार चबाकर करें । आंवले की गुठली या जौ की भूसी के पाउडर को शरीर पर लगड़े और ‘ आयुर्वेद चिकित्सक ’ की देखरेख में सतत् रूक्ष स्वेदन / Dry fomentetion का प्रयोग करें । रोज पेट साफ रखें ।

विशेष औषधीय चिकित्सा - 

कफशामक  और मेदधातुशामक औषधियों जैसे - शुण्ठी , पिप्पली , काली मिर्च , दालचीनी , आंवला , चित्रक , हल्दी , अर्जुन , गुग्गुल , नागरमोथा , हरीतकी , विडंग , कालमेघ ,  कांचनार , अग्निमंथ , जौ का आटा , ताम्र भस्म , लौह - मण्डूर भस्म , मठ्ठा , शहद आदि एकल औषधियों अथवा इनसे निर्मित योगो का आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श उपरांत सतत सेवन करें ।

                                       अगर आप उपरोक्त बिन्दुओं का दृढ़ता से पालन कर लेगें तो शायद आपको किसी औषधि ईलाज की भी आवश्यकता न पड़े । किन्तु अगर आप चिकित्सक को भी दिखाए तो अनुभवी , प्रशिक्षित चिकित्सक से ही परामर्श लें । अनावश्यक बाजार में उपलब्ध औषधियों का प्रयोग कर अपने स्वास्थ्य से न खेले । क्योंकि आपका स्वास्थ्य अनमोल है ंं। 

                                      धन्यवाद ।

Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया है जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।

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Sunday, September 5, 2021

#यार कहीं मेरे सारे बाल ऐसे ही न झड़ जाए ?

नमस्कार देवियों और सज्जनों , मैं फिर एक बार आपके समक्ष स्वास्थ्य से सम्बन्धित ज्वलन्त समस्या पर चर्चा करने हेतु आया हूँ |

                             मित्रों यकीन मानिए जिस तरह भारत वासियों के लिए कश्मीर में शांति, दिल्ली में सरकार, पाकिस्तान की हार, बड़े मुद्दे बने रहे हैं, ऐसे ही बालों का झड़ना भी बहुत लोगों के लिए ऐसा ही ज्वलंत मुद्दा हैं जो निजी और समाजिक स्तर को नकारात्मक पुट देता रहा है ं , फिर चाहे आप मर्द, हो, या औरत कुछ फर्क़ नहीं पड़ता |

               


                 

खैर, छोड़िये , आइए अब कुछ इस समस्या के समाधान के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाल दूं ,कहीं उससे पहले आप मुझ पर क्रोधित होकर कहने न लगे कि ये लेखक बड़ा Boring  हैं |

Anyway listen and pay attention dears... आखिर ये आपकी खुबसुरती और व्यक्तित्व का प्रश्न जो हैं -

1.  सुबह जल्दी उठकर, खाली पेट दो गिलास नींबू पानी का सेवन करें |

2.  शौच कर्म करने के उपरांत सतत् / लगातार योग विशेषत: शीर्षासन, प्राणायाम, जल नेति, नस्य का प्रयोग करें |

3.  नाश्ते में, अंकुरित चने, दलिया, हरी सब्जी के साथ रोटी, फल, फलों का जूस, दूध आदि का नियमबद्ध सतत् सेवन करें |

4.  लंच में, सलाद युक्त डेढ़ कटोरी दाल सहित संपूर्ण आहार लें |

5.  सांयकाल में रोज गाजर, चुकन्दर, मौसमी, अनानास के जूस का सेवन करें |

6.  रात्रि में हरी और पत्तेदार सब्जी युक्त हल्का सुपाच्य आहार ग्रहण करें |

7.  सोते समय पुनः एक गिलास दूध का सेवन करें |

8.  सुबह-रात दूध के साथ आंवले का मुरब्बा जरूर खाए |

9.  किसी भी प्रकार के नजले-जुखाम से बचें |

10.  फास्ट फूड जैसे- मोमोज़, चाऊमिन, बर्गर, स्प्रिंग रोल, मसालेदार चटपटा भोजन, चाट, चाय, मिर्च, मेदायुक्त पकवान आदि का नितांत परहेज करें |

11.  किसी भी Chenical based oil ,Shampoo, Dye, Colour का सेवन न करें |

12.  बालों को Unnecessary Pressing, Curlling, से बचाकर रखें |

13.  कुशल आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श अनुसार सतत्  Liver को बेहतर बनाने वाली औषधी का सेवन करें |

14.  सप्ताह में कम से कम दो या तीन बार आयुर्वेद औषधियों से निर्मित Ayurveda Hair Oil  से सिर में बालों की जड़ो में मसाज कर,अगले दिन प्रातःकाल नींबू रस बालों की जड़ो में लगाकर 30 मिनट के लिए छोड़ दें | और उसके बाद सादे जल से आयुर्वेद औषधियों से निर्मित  Ayurveda Hair Shampoo से धुल लें |

                              मित्रों अगर इन सब प्रयोगों के बाद भी आपकी बालों के झड़ने की समस्या का समाधान नहीं होता हैं तो फिर बिना समय गवाए और किसी के द्वारा बताए गए या अपने खुद के फिजूल प्रयोग न करें, और कुशल और प्रशिक्षित आयुर्वेद विशेषज्ञ से चिकित्सा परामर्श लें | क्योकिं ये बाल है ं मित्रों अगर एक बार चलें गए तो शायद आपकी निजी सोच अनुसार, कि बालों के झड़ने से हमारे निजी सौंदर्य और समाजिक व्यक्तित्व में गिरावट आ जाएगी | किन्तु ये भी कटु सत्य हैं कि हम ऐसी सामान्य विचारधारा वाले समाज का ही हिस्सा है ं |

खैर छोड़िए मित्रों, इस लेख को समाजिक नहीं अपितु स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लिखा गया है और आपसे भी उसी स्वास्थ्य दृष्टिकोण से पढ़ने का निवेदन है ं |

{ बालों का झड़ने समाजिक व्यक्तित्व को हानि पहुंचाता हैं, ऐसी सोच का मैं निजी तौर पर समर्थन नहीं करता हूँ }


Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया है जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।

                                       धन्यवाद |

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Friday, September 3, 2021

#संभोग क्षमता को बेहतर करने के दस उपाय

                                                           देवियों और सज्जनों को मेरा पुनः “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ” की अवधारणा को अग्रसर करते हुए , सहृदय नमन और आप सभी का पुनः अभिनंदन ।                                                                             मित्रों आज का स्वास्थ्य का विषय हैं - Sex & how to improve it जिसे हम सामान्य भाषा में “ संभोग..एक कला ”और आधुनिक विज्ञान में Sex ... a hormonal phase तथा आयुर्वेद के दृष्टिकोण से “ वाजीकरण चिकित्सा ” हैं । 

वर्तमान समय में हम आधुनिकता की आड़ में कहीं न कहीं पौरुष क्षमता को खो बैठे है ं | प्रायः ये देखा गया है कि, नवयुवक पीढ़ी में भी संभोग क्षमता में नकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है ं |

                                                                इस प्रकार के अनेक लक्षण, जैसे - लिंग में तनाव की कमी, संभोग के दौरान या उससे पूर्व ही वीर्यपात हो जाना, संभोग में जननांग में दर्द होना, संभोग में जननांग में जलन होना, वीर्य का बहुत पतला आना, संभोग में अरुचि और उसको निरर्थक विषय मानना आदि अनेक नकारात्मक लक्षण नवयुवक पीढ़ी को अंदर ही अंदर कुंठित करते है |

              जिसके परिणामस्वरूप मानव संसाधन न तो अपने दैनिक कार्यो को अच्छे से ही कर पाता है अपितु वह निरर्थक ही अप्रशिक्षित और अपंजीकृत चिकित्सकों से चिकित्सा लेने में मजबूर हो जाता है ंं| यहाँ तक की वह बेहद हृदय के लिए खतरनाक सिद्ध होने वाली आधुनिक औषधि/Allopathic medicine  का सतत् प्रयोग कर, अपने आप को अंधेरे में डूबा देता हैं |



ऐसे में मैं अपने चिकित्सीय अनुभव के आधार पर आपको मात्र दस उपाय अपनाने की सलाह दे रहा हूँ, ताकि आप कुशल संभोग कर अपने पार्टनर को और स्वयं को पूर्ण संतुष्ट कर सकें | जैसे-

1. संभोग करने से पूर्व, मानसिक तनाव से दूर रहे | किसी भी प्रकार         का भय, ग्लानी, जल्दबाजी में संभोग न करें |

2. अपने पार्टनर की अनुमति या इच्छा होने पर ही संभोग करने के           बारे में सोचें |

3. संभोग करने  से पूर्व, वातावरण अनुकूल बना ले | जैसे - संभोग          वाली जगह भय रहित, सौगंधयुक्त, उचित तापमान वाली , और          पार्टनर की मनपसंद वस्तुओं से युक्त हो |

4. संभोग से पूर्व, रोमांचक बातों द्वारा एवं चुंबन, अंग स्पर्श आदि             /fore play द्वारा पार्टनर को संभोग करने हेतु उत्तेजित कर             मानसिक स्थिति में जरूर ले जाए |

5. संभोग शुरू होते हुए सिर्फ संभोग संबंधित विषयों पर ही टिप्पणी      अथवा संभोग को प्रेरित करने वाली बातें ही करें, अन्य किसी भी        विषय या परिवारिक समस्या का स्मरण या चर्चा न करें |

6. योनि विस्तारण/ Vaginal Opening अथवा लिंग                           उत्थान/Erectile Penis की दशा में ही संभोग प्रारंभ करें |

7.  संभोग कलाओं/Sex Position में निरन्तर परिवर्तन करते रहे ंं |       हमेशा एक ही कला में संभोग न करें |

8. संभोग की इच्छा वाले दिन अथवा रात्रि के समय या उससे पूर्व          अपने पार्टनर को कोई उपहार भेंट कर या Surprised  देकर            प्रसन्नचित्त रखें | किसी भी प्रकार के विवादित विषय या मतभेद          या चर्चा से बचें अथवा दूर रहें |

9. अपने व्यापार/Bussiness loss, नौकरी/Job insecurity or      Demotion, परिवारिक असफलता Familiar disput, का            जिम्मेदार पार्टनर को न ठहराए |

10. अपने पार्टनर की किसी और से तुलना न करें | संभोग सफल या        असफल होने की दोनों ही दशा में पार्टनर को आलिंगन करते हुए        कुछ समय आत्मियता स्वरूप लेटे रहे ं |

औषधीय चिकित्सा / Medicinal Treatment -

                      संभोग एक कला हैं , जिसे निश्चित ही ऊपर बताए गए विहार / व्यवहार / आचरण / नियमों द्वारा और अधिक बेहतर बनाया जा सकता हैं , किन्तु उपरोक्त बिन्दुओं के साथ-साथ अगर आयुर्वेदीय “ वाजीकरण चिकित्सा ” और इसके आधीन “ वृष्य ” आयुर्वेद औषधियों जैसे - अश्वगंधा , माष , कपिकच्छू , गोक्षुर ,अकरकरा , शुण्ठी , मूसली , जातीफल , अमृता , वंश , शतावरी , श्रंगाटक , केशर ,भांग ,धतूरा , शिलाजीत , गोघृत , गोदुग्ध , रस योग और नाग - वंग भस्म आदि औषधियों का एकल या इनसे निर्मित योगो का , किसी कुशल अनुभवी प्रशिक्षित आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा  परामर्श उपरांत प्रयोग करें ।

                            उपरोक्त उपायों को इस्तेमाल कर बहुत हद तक आप Sex Problems & it's Complications /  उपद्रव से मुक्ति पा सकती हैं , किंतु अगर फिर भी आप इस रोग से ग्रस्त ही रहतीं हैं तो शीघ्र ही अपने Family Physician / काय रोग विशेषज्ञ या किसी कुशल , प्रशिक्षित , अनुभवी  आयुर्वेद चिकित्सक ” से परामर्श लेकर, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं और संभोग को और अधिक बेहतर करते हुए हम अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।

                                     धन्यवाद ।

Note - उपरोक्त लेख , केवल “ स्वास्थ्य जन जागरूकता ” के उद्देश्य से लिखा गया हैं , जिसमें किसी भी प्रकार की निजी अथवा चिकित्सीय त्रुटि हेतु लेखक क्षमा प्रार्थी हैं।  

                                     

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मठ्ठा पीने से लाभ ... ‘ तक्र ’ a good drink

                                            नमस्कार देवियों और सज्जनों , मैं पुनः आप सभी लोगों के मध्य  “ स्वस्थ भारत...स्वस्थ समाज ”  की अव...